जागृत देवता हैं पुस्तकें

तलाश जारी है,
जारी थी उनकी, जो अनिवार्यत है
जो निर्विकारी है ।

कूल मझाते भटकते
कदमों की दिशा भ्रमित हुई कई बार
एक अदना सा दृश्य नहीं दिखा
बोझ की गठरी बड़ी भारी है ॥

क्यों कर अंधा सा है मन 
जो दिखे वही खोजता, वही ढूँढता
बार बार करूँ प्रतिकार
धुजा से उतारने की तैयारी है ॥

एक डिबिया में बंद कर लूँ
या फैला दूँ यहाँ से वहाँ अंबर तक
सब कुछ परिलक्षित है
भाव से भरी उदारी है ॥

अपरिमित ध्रुवों को समेटे
विस्तार धारे अपने अंक में
क्या कुछ नहीं गर्भ में भरा
जगत आधारी है ॥

न जानों तो अंजान सी लगी
खाका छान लिया जग का
पलट कर उधेड़ा, बार बार देखा
वो नर है न नारी है ॥

विभूषित सुशोभित ब्रह्मऋषि की जटा जैसी घनी
सदियों से आभा बिखेरती
स्व में विश्व समेटे निमग्न अलंकृत, 
सर्व ज्ञान दायिनी पुस्तक हमारी है ॥

**जिज्ञासा सिंह**

39 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी भारी दार्शनिक कविता लिख मारी जिज्ञासा !

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    1. आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सर।
      करबद्ध सादर अभिवादन।

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  2. बहुत ही बढ़िया और सुन्दर कविता लिखा है आपने।♥️🌻

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    1. बहुत आभार शिवम जी ।ब्लॉग पर आने के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

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  3. उत्तर
    1. बहुत आभार कविता जी ।ब्लॉग पर आपके स्नेह के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

      हटाएं
  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 25 अप्रैल 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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    1. आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी, आपका बहुत बहुत आभार ।
      रचना के चयन के लिए कोटि कोटि नमन और वंदन ।
      मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

      हटाएं
  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार 25 अप्रैल 2022 को 'रहे सदा निर्भीक, झूठ को कभी न सहते' (चर्चा अंक 4410) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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    उत्तर
    1. आदरणीय रवीन्द्र सिंह यादव जी, नमस्कार !
      आपका बहुत बहुत आभार ।
      रचना के चयन के लिए कोटि कोटि नमन और वंदन ।
      मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

      हटाएं
  6. बहुत सुंदर कविता, जिज्ञासा दी।

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    1. बहुत आभार ज्योति जी ।ब्लॉग पर आपके स्नेह के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

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  7. विभूषित सुशोभित ब्रह्मऋषि की जटा जैसी घनी
    सदियों से आभा बिखेरती
    स्व में विश्व समेटे निमग्न अलंकृत,
    सर्व ज्ञान दायिनी पुस्तक हमारी है ॥
    बहुत सुन्दर !! पुस्तकों के सम्मान में अत्यंत सुंदर सृजन ।

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    1. बहुत आभार मीना जी ।ब्लॉग पर आपकी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत धन्यवाद।

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  8. उत्तर
    1. बहुत आभार विभा जी ।ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति के लिए आपका बहुत धन्यवाद, नमन और वंदन ।

      हटाएं
  9. किताबों से अच्छा साथी कोई नहीं।

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  10. बहुत आभार आदरणीय सर ।ब्लॉग पर आपके आगमन के लिए आपका बहुत धन्यवाद, नमन और वंदन।

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  11. अपरिमित ध्रुवों को समेटे
    विस्तार धारे अपने अंक में
    क्या कुछ नहीं गर्भ में भरा
    जगत आधारी है... बहुत सुंदर सृजन।
    सादर

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  12. अर्थपूर्ण और सुंदर रचना
    वाह

    बधाई

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  13. स्व में विश्व समेटे निमग्न अलंकृत,
    सर्व ज्ञान दायिनी पुस्तक हमारी है ॥

    दो पंक्तियों में ही पुस्तक का सार समेट लिया, बेहतरीन सृजन जिज्ञासा जी 🙏

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  14. बहुत बहुत आभार आपका । ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति का हार्दिक स्वागत है।

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  15. स्व में विश्व समेटे निमग्न अलंकृत,
    सर्व ज्ञान दायिनी पुस्तक हमारी है ॥...वाह! पुस्तकों का सीधा संबंध हमारी जिज्ञासा से है।

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  16. क्या कुछ नहीं गर्भ में भरा
    जगत आधारी है... बहुत सुंदर सृजन।

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  17. पुस्तकें हमेशा सच्ची साथी । यथार्थ सृजन ।

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  18. वाह!!!
    सर्वज्ञान दायिनी पुस्तकें...
    लाजवाब सृजन ।

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  19. वाह!! बहुत खूब प्रिय जिज्ञासा!
    पुस्तकें सच में सब हैं।एक दीपक, एक दोस्त, एक मार्गदर्शक और एक देवता भी।सभी कुछ समेट लिया आपने रचना में---

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  20. विभूषित सुशोभित ब्रह्मऋषि की जटा जैसी घनी
    सदियों से आभा बिखेरती
    स्व में विश्व समेटे निमग्न अलंकृत,
    सर्व ज्ञान दायिनी पुस्तक हमारी है ॥
    क्या बात है!! वाह वाह वाह सिर्फ वाह!!!👌👌👌👌❤

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