याद रहे ये भी माँ हैं (मातृ दिवस)

नेह की भूखी खड़ी थीं आज अम्मा ।
श्वेत वस्त्रों में जड़ी थीं आज अम्मा ॥

थीं सजाती माथ पे बिंदिया जहाँ ।
केसरी चंदन गढ़ी थीं आज अम्मा ॥

जल छिड़कतीं, बुदबुदाते होंठ उनके ।
मंत्र जीवन का पढ़ीं थीं आज अम्मा ॥

जो बहक जातीं थीं निर्मल भावना में ।
वक्त के हाथों कढ़ी थीं आज अम्मा ॥

कह हैं जाते भाव उनके चक्षु के ।
ख़ूब हालातों लड़ीं थीं आज अम्मा ॥

कुछ मिलेगा मूल्य उनके कर्म का ।
ताकती पल-पल घड़ी थीं आज अम्मा ॥

संग उनके हैं सखी अगणित खड़ी ।
जोड़ती अब भी कड़ी थीं आज अम्मा ॥

ज्यों कुरेदा मर्म उनके गर्भ का ।
बरस बन बदरी पड़ी थीं आज अम्मा ॥

**जिज्ञासा सिंह**

18 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (11-05-2022) को चर्चा मंच     "जिंदगी कुछ सिखाती रही उम्र भर"  (चर्चा अंक 4427)     पर भी होगी!
    --
    सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
    -- 
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'    
    --

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    1. आदरणीय शास्त्री जी, सादर प्रणाम।
      मेरी रचना को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन।मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।

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  2. सच इन्हें भी आदर मिलना चाहिए ,बहुत मार्मिक लिखा !!

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    1. आपकी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार अनुपमा जी ।

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    1. आपकी मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया का हार्दिक आभार अनुराधा जी ।

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  4. बहुत सुंदर रचना । इन अम्मोन को मेरी शुभकामनाएँ ।।

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी। ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति देख मन अभिभूत हो जाता है । आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन।

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  5. हृदय स्पर्शी सृजन ।
    आपने संवेदनाओं को मुखरित कर दिया जिज्ञासा जी।
    अप्रतिम।

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    1. मनोबल बढ़ाने के लिए बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय कुसुम जी ।

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  6. रंगीन जब श्वेत में परिवर्तित होता है,तो परिवार और समाज की आंखों से ओझल होने लगता है।बहुत सुंदर विषय और सुंदर रचना

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    1. बहुत सारगर्भित प्रतिक्रिया । बहुत आभार आपका रश्मि जी ।

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  7. वाह वाह!प्रभावशाली अभिव्यक्ति

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  8. बेहद मर्मस्पर्शी भावाभिव्यक्ति जिज्ञासा जी !

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  9. एक समय की कई संज्ञाओं से सजी मायेँ जब माथे के सिन्दूर के साथ जीवन के सभी रंग गँवा बैठती हैं तो जीने का सलीका ही बदल जाता है।एक मार्मिक अभिव्यक्ति जो निशब्द कर गये।///

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