चूहे पेट में कूदें

 

ठेलिया वाला गुल्ले 

लाया गट्टा लइया भूजा 

झपट पड़े कलुआ चुनमुनिया 

पम्पी सिम्पी सुरजा 


पम्पी गट्टा लिए भागता

सिम्पी लेकर लैया 

पीछे पीछे दौड़ा कलुआ

थोड़ा दे दो भैया 

मेरे जैसा प्यारा भाई

नहीं मिलेगा दूजा 


कौन सुने खाने की धुन में

चूहे पेट में कूदें 

पहले अपनी भूख मिटे

तब भला किसी को दें 

सरफ़र सरफ़र बिना रुके

है करनी पेटपूजा 


मची हुई है धमाचौकड़ी

भरना सबको पेट 

छुड़ा रहा बच्चों को गुल्ले 

लेकर चिकना बेंट 

बिखरा भूजा मार पड़ी

है सबका गाल सूजा 


अम्मा उलझीं देख तमाशा

रोते भूखे बच्चे 

झपट पड़ीं गुल्ले से बोली

इससे भूखे अच्छे  

आग लगे तुझमेंभूजे में

बरै मुआँ भड़भूजा 


**जिज्ञासा सिंह**

25 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 11 जुलाई 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार(११-०७ -२०२२ ) को 'ख़ुशक़िस्मत औरतें'(चर्चा अंक -४४८७) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. चर्चा मंच में रचना शामिल करने के लिए बहुत आभार प्रिय अनीता जी, आपकी ये पोस्ट स्पैम में चली गई थी। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

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  3. उत्तर
    1. आपकी प्रतिक्रिया सृजनात्मकता का संबल है ।बहुत आभार आदरणीय दीदी।

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  4. ज़ोरदार भाषा और अनोखा अंदाज !

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  5. आपके प्रोत्साहन नव सृजन का आधार है । आपको मेरा नमन ।

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  6. अम्मा उलझीं देख तमाशा
    रोते भूखे बच्चे ।
    झपट पड़ीं गुल्ले से बोली
    इससे भूखे अच्छे ॥
    आग लगे तुझमें, भूजे में
    बरै मुआँ भड़भूजा ॥
    .. पेट की आग क्या होती है, बखूबी चित्रण किया है आपने

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  7. संवेदनाओं से भरपूर यथार्थ चित्रित करती सुंदर कविता।
    हृदय स्पर्शी सृजन।

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  8. संवेदनाओं से भरपूर बहुत ही हृदयस्पर्शी रचना! सभी किरदार को आपने अपने आनोखे शब्दों से सजीव कर दिया है! ऐसा लगता है सारा दृश्य आंखों के सामने हो! साधुवाद मैम.....🙏🙏

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