अपनी बन के रह जाने से,
होता न कभी उद्धार सुनो ॥
सब कहते कि मैं हूँ महान
पर करते न इतना निदान ।
समृद्ध-सरस पहचान मेरी
भाषाओं की निज आसमान ॥
सबसे मिल कर सबकी बनकर
करना विस्तृत संसार सुनो ॥
गर माँगे छाया आँचल की
मैं धरणी जैसी बिछ जाऊँ ।
ममता-वात्सल्य स्वरूपा बन
अपनी संतति पर इतराऊँ ॥
वे बोएँ बीज भले गिनकर
मैं उगूँ सघन विस्तार सुनो ॥
हूँ हिंदी सिद्धा स्वयं सकल
हर भाषा भाषी में व्यापूँ ।
अंतर्मन घट-घट में उतरूँ
मग-मग,डग-डग धरती नापूँ ॥
कम्प्यूटर हो, विज्ञान जगत
नतमस्तक बारम्बार सुनो ॥
भाषा, उपभाषा, जग भाषा
वर लें कर लें निज हस्त ग्रहण ।
मन वाणी कर्म समाहित हो
लंकार विभूषित वचन वरण ॥
नभ-जल-थल सबकी अभिलाषा
सबमें होना स्वीकार सुनो ।
हिंदी माँगे अधिकार सुनो ॥
“🌹🌹हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई🌹🌹”
**जिज्ञासा सिंह**
हिंदी दिवस पर सुंदर पुकार लगायी है आपने , शुभकामनायें !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी।
हटाएंबहुत सुंदर, लाजवाब सृजन जिज्ञासा जी, हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई 🙏
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका कामिनी जी ।
हटाएंअति सुन्दर कृति। हार्दिक शुभकामनाएँ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका।
हटाएं
जवाब देंहटाएंहूँ हिंदी सिद्धा स्वयं सकल
हर भाषा भाषी में व्यापूँ ।
अंतर्मन घट-घट में उतरूँ
मग-मग,डग-डग धरती नापूँ ॥
कम्प्यूटर हो, विज्ञान जगत
नतमस्तक बारम्बार सुनो ॥///
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय जिज्ञासा जी।हिन्दी की अधूरी कामनाओं को बड़े ही सुन्दर अंदाज में शब्दों में पिरोया है आपने।अगर हिन्दी मानवी रूप में प्रकट हो जाये तो अपने उदगारोँ को इसी तरह अभिव्यक्त करेगी।
हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं 🌷🌷🌺🌺
बहुत बहुत आभार इतनी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए।नमन सखी ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 15 सितंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
जी, आपका बहुत आभार और अभिनंदन।
हटाएंहिंदी तो स्वयंसिद्धा है ...... सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार दीदी ।
हटाएंवाह!जिज्ञासा जी ,बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार शुभा जी
हटाएंबहुत सुन्दर कविता !
जवाब देंहटाएंहिंदी-दिवस, हिंदी-सप्ताह और हिंदी-पखवाड़ा मनाने से कुछ नहीं होगा.
हिंदी को उसका उचित अधिकार और उचित सम्मान दिलाने के लिए हमको उसे हर क्षेत्र में समर्थ और सक्षम बनाना होगा.
आभार आपका आदरणीय सर। जी आपका चिंतन सराहनीय है , हम सभी का दायित्व बनता है कि हिंदी को समृद्ध नाननेवके लिए काम करें ।
हटाएंबहुत ही सुन्दर प्रस्तुति जिज्ञासा जी!... हार्दिक बधाई!
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सदैव मनोबल बढ़ाती है । सादर आभार आपका।
हटाएंबहुत ही सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका मनोज जी
हटाएंबहुत सुंदर भाव।
जवाब देंहटाएंहिन्दी दिवस पर हिन्दी के उत्थान पर सुंदर विचार।
सुंदर सृजन।
बहुत बहुत आभार कुसुम जी । रचना पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया सृजन को सार्थक कर गई ।
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