हिंदी माँगे अधिकार सुनो !

 


हिंदी माँगे अधिकार सुनो !

अपनी बन के रह जाने से

होता  कभी उद्धार सुनो 


सब कहते कि मैं हूँ महान

पर करते  इतना निदान 

समृद्ध-सरस पहचान मेरी

भाषाओं की निज आसमान 

सबसे मिल कर सबकी बनकर

करना विस्तृत संसार सुनो 


गर माँगे छाया आँचल की

मैं धरणी जैसी बिछ जाऊँ 

ममता-वात्सल्य स्वरूपा बन

अपनी संतति पर इतराऊँ ॥

वे बोएँ बीज भले गिनकर

मैं उगूँ सघन विस्तार सुनो 


हूँ हिंदी सिद्धा स्वयं सकल

हर भाषा भाषी में व्यापूँ 

अंतर्मन घट-घट में उतरूँ

मग-मग,डग-डग धरती नापूँ ॥

कम्प्यूटर होविज्ञान जगत 

नतमस्तक बारम्बार सुनो 


भाषाउपभाषाजग भाषा

वर लें कर लें निज हस्त ग्रहण 

मन वाणी कर्म समाहित हो

लंकार विभूषित वचन वरण 

नभ-जल-थल सबकी अभिलाषा

सबमें होना स्वीकार सुनो 

हिंदी माँगे अधिकार सुनो 


“🌹🌹हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाई🌹🌹”


**जिज्ञासा सिंह**

22 टिप्‍पणियां:

  1. हिंदी दिवस पर सुंदर पुकार लगायी है आपने , शुभकामनायें !

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत सुंदर, लाजवाब सृजन जिज्ञासा जी, हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई 🙏

    जवाब देंहटाएं
  3. अति सुन्दर कृति। हार्दिक शुभकामनाएँ।

    जवाब देंहटाएं

  4. हूँ हिंदी सिद्धा स्वयं सकल
    हर भाषा भाषी में व्यापूँ ।
    अंतर्मन घट-घट में उतरूँ
    मग-मग,डग-डग धरती नापूँ ॥
    कम्प्यूटर हो, विज्ञान जगत
    नतमस्तक बारम्बार सुनो ॥///

    बहुत सुन्दर और भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय जिज्ञासा जी।हिन्दी की अधूरी कामनाओं को बड़े ही सुन्दर अंदाज में शब्दों में पिरोया है आपने।अगर हिन्दी मानवी रूप में प्रकट हो जाये तो अपने उदगारोँ को इसी तरह अभिव्यक्त करेगी।
    हिन्दी दिवस की बधाई और शुभकामनाएं 🌷🌷🌺🌺

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बहुत आभार इतनी सार्थक प्रतिक्रिया के लिए।नमन सखी ।

    जवाब देंहटाएं
  6. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 15 सितंबर 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
  7. हिंदी तो स्वयंसिद्धा है ...... सुंदर रचना ।

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुन्दर कविता !
    हिंदी-दिवस, हिंदी-सप्ताह और हिंदी-पखवाड़ा मनाने से कुछ नहीं होगा.
    हिंदी को उसका उचित अधिकार और उचित सम्मान दिलाने के लिए हमको उसे हर क्षेत्र में समर्थ और सक्षम बनाना होगा.

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. आभार आपका आदरणीय सर। जी आपका चिंतन सराहनीय है , हम सभी का दायित्व बनता है कि हिंदी को समृद्ध नाननेवके लिए काम करें ।

      हटाएं
  9. बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति जिज्ञासा जी!... हार्दिक बधाई!

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति सदैव मनोबल बढ़ाती है । सादर आभार आपका।

      हटाएं
  10. बहुत सुंदर भाव।
    हिन्दी दिवस पर हिन्दी के उत्थान पर सुंदर विचार।
    सुंदर सृजन।

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत बहुत आभार कुसुम जी । रचना पर आपकी सार्थक प्रतिक्रिया सृजन को सार्थक कर गई ।

    जवाब देंहटाएं