हाँ
नीला
अंबर
तारा गृह
शोभायमान
सजा चंद्रयान
ज्योति प्रदीप्यमान ।।
**
ये
नभ
जड़ित
सुसज्जित
मन मोहित
नक्षत्र नायाब
चमके महताब ।।
**
जी
चौथ
करवा
कृष्ण पक्ष
अंबर मध्य
तारिका सानिध्य
चंद्रदेव आराध्य ।।
**
दे
प्रभा
चंद्रमा
अलंकृत
नभ शोभित
नित्य निशा काल
उपग्रह विशाल ।।
**जिज्ञासा सिंह**
आपकी लिखी रचना सोमवार 10, अक्टूबर 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
बहुत बहुत आभार दीदी ।मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ।
हटाएंबहुत सुंदर वर्ण पिरामिड।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार ज्योति जी ।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका।
हटाएंशानदार शब्दों का पिरामिड .
जवाब देंहटाएंब्लॉग पर आपकी उपस्थिति हर्ष दे गई। स्वागत और अभिनंदन।
हटाएंक्या बात है वाह... बहुत सुंदर और प्रभावशाली
जवाब देंहटाएंअभिव्यक्ति जिज्ञासा जी।
सस्नेह।
बहुत बहुत आभार।
हटाएंसादर नमस्कार ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (11-10-22} को "डाकिया डाक लाया"(चर्चा अंक-4578) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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कामिनी सिन्हा
बहुत बहुत आभार कामिनी जी।
हटाएंवाह!!!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर वर्ण पिरामिड
लाजवाब👌👌
बहुत ही सुन्दर रचना
हटाएंबहुत बहुत आभार आपका ।
हटाएंकरवा चौथ की अग्रिम शुभकामनाएँ, सुंदर सृजन!
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी ।
जवाब देंहटाएंसराहनीय सृजन।
जवाब देंहटाएंप्रिय जिज्ञासा जी,ये विधा सीख ना सकी पर बहुत अच्छे लगते हैं ये नवल काव्य प्रयोग।बहुत प्यारे ये पिरामिड़ प्रिये 🌷🌺🙏
जवाब देंहटाएंकभी फुर्सत मिले तो हमारे ब्लॉग पधारें
जवाब देंहटाएंशब्दों की मुस्कुराहट
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