चिड़िया रोई भर आकाश ।
धुआँ उड़ाता चला समीरण,
अश्रु बहा, भीगा है रज कण,
बिखरा उजड़ा चमन कह रहा
मरा हुआ इतिहास ॥
सूत-सूत पंखों में लपटें
ज्वाला मध्य घिरा है नीड़ ।
ध्वंस विध्वंस धरातल जंगल
मूक बधिर अतिरंजित भीड़ ॥
धनुष चढ़ाए बाण शिकारी
ढूँढ रहे अब लाश ।
चिड़िया रोई भर आकाश ॥
बड़े-बड़े गिद्धों ने बोला
घबराने की बात नहीं ।
पात-पात हम देख रहे हैं
दिन है, कोई रात नहीं ॥
आस और विश्वास कर गया,
सब-कुछ सत्यानाश ।
चिड़िया रोई भर आकाश ॥
करुण-रुदन-क्रंदन चिड़ियों का
मुस्काते चीते ।
बिलख चिरौटे गिरें धरनि पर
ध्वजवाहक जीते ॥
हुआ अमंगल, तृण-तृण जलता
चारों ओर विनाश ।
चिड़िया रोई भर आकाश ॥
**जिज्ञासा सिंह**
मानव संसाधन है हताश
जवाब देंहटाएंचिड़िया रोई भर आकाश
मार्मिक रचना
बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी। आपकी प्रतिक्रिया का हार्दिक स्वागत है।
हटाएंवाह! जिज्ञासा जी ,बहुत खूब .. । चिडिया रोई भर आकाश .....
जवाब देंहटाएंदिल को छू गई आपकी रचना ।
बहुत आभार शुभा जी ।
हटाएंबहुत मर्मस्पर्शी और सटीक 👌👌
जवाब देंहटाएंआभार आपका।
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार 27 नवम्बर, 2022 को "हीरा मन-चिड़िया रोई भर आकाश" (चर्चा अंक 4621) पर भी होगी।--
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
चर्चा मंच में रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन आदरणीय सर।
हटाएंबेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार भारती जी ।
जवाब देंहटाएंवर्तमान काल में विश्व जब युद्ध से घिरा है, भूख, कुपोषण और अशिक्षा ने एक बड़ी आबादी को प्रभावित किया हुआ है, आपकी कविता समाज का एक मार्मिक सच दिखाती है
जवाब देंहटाएंकविता के विस्तृत आयामों पर आपकी दृष्टि गई, मनोबल बढ़ते शब्द ।बहुत आभार दीदी ।
हटाएंआज के सत्य का श्यामल पहलू उजागर करता सृजन।
जवाब देंहटाएंहृदय स्पर्शी भाव।
अप्रतिम सृजन।
प्रोत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए, बहुत बहुत आभार आपका कुसुम जी ।
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंचिड़ियों के माध्यम से मुझे लगता है कि आपने मासूम लड़कियों के दर्द को बयां करने की कोशिश की है! वैसे अगर ये चिड़िया के लिए ही था तो भी इससे बहुत सी मासूम लड़कियों की कहानी मेल खाती है!
जवाब देंहटाएंऔर इस दर्द को जिस मर्म और भावों के साथ आपने शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया है वो हृदयतल को स्पर्श कर गया! बहुत ही मर्मस्पर्शी रचना!