खिचरिया खाएँ श्रीभगवान !
दाल-भात की बनी रे खिचरिया,पूजय सकल सुजान।
प्रात परात सजय हर्दी संग, खूब करय स्नान।
माथ लगे चरनन म छिटके,भिच्छुक पावत दान।
गंग-जमुन-सरयू के तट पर, भूखन की अभिमान।
उदर भरे आतमा तिरोहे, निरधन की वरदान ।
जनम-मरन, सुभ-असुभ की साथी, देत मनुज सम्मान।
बेटी-बधू भरी भरि अँचरा, माँड़व तर गुणगान।
बालक-बृंद सखा सम भावे, भावे वृद्ध जवान।
बिना तालु बिनु दन्तु क भोजन, मनुज गुनन की खान।
खिचरी भोज मनहिं मुदितावे, रोगी रोग निदान।
मकर जोग सखि आजु बनैहैं, खइहैं संग संतान।
अइसन प्रभु जी भोज बनावा, भावत जगत जहान।
खिचरिया खाएँ श्रीभगवान !
मकर संक्रांति पर्व की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ💐
**जिज्ञासा सिंह**
वाह जिज्ञासा !
जवाब देंहटाएंदधि-माखन-रोटी खाने वाले भगवान जी को खिचरिया खिलाने वाली तुम अनोखी भक्त हो.
भगवान भी खिचड़ी खाते हैं, मैने पढ़ा है, भोग तो लगता ही है,
हटाएंजगन्नाथपुरी में भी लगता है।
बहुत आभार आपका।
मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकारें 💐💐
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जवाब देंहटाएंभक्ति भाव से ओतप्रोत सृजन जिसमें मकर संक्रांति की महत्ता के साथ-साथ खिचड़ी के बहुमूल्य गुणों का बखान भी है ।अत्यंत सुन्दर और मनमोहक सृजन जिज्ञासा जी!
जवाब देंहटाएंसुंदर सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभार आपका।
हटाएंमकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई स्वीकारें 💐💐
बहुत सुंदर। शुभकामना और बधाई!!!
जवाब देंहटाएंसुंदर सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए बहुत आभार आपका।
हटाएंमकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
आपकी लिखी रचना सोमवार 16 जनवरी 2023 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
"पांच लिंकों का आनंद" मेवराचना के चयन के लिए बहुत आभार आपका दीदी ।
जवाब देंहटाएंमकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
'खिचरी भोज मनहिं मुदितावे, रोगी रोग निदान' वाह, खिचड़ी के गुणों का बखान और कृष्ण की भक्ति, सुंदर व सार्थक सृजन!
जवाब देंहटाएंआपकी सुंदर सकारात्मक प्रतिक्रिया ऊर्जा प्रदान कर गई ।आभार दीदी। मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
हटाएंबहुत सुन्दर…आपको भी बहुत शुभकामनाएँ 🙏
जवाब देंहटाएंआपकी सुंदर प्रतिक्रिया ऊर्जा प्रदान कर गई ।आभार दीदी। मकर संक्रांति पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 💐💐
जवाब देंहटाएंबालक-बृंद सखा सम भावे, भावे वृद्ध जवान।
जवाब देंहटाएंबिना तालु बिनु दन्तु क भोजन, मनुज गुनन की खान।
खिचड़ी का महत्व साथ ही इतनी महत्वपूर्ण खिचड़ी का ऐसा सम्मान कग भोग लगायें श्रीभगवान!
वाह!!!!
कमाल का सृजन ।
इतनी सार्थक सुंदर टिप्पणी के लिए आभार प्रिय सखी।
हटाएंअरे वाह्ह क्या बात है। आनंद आ गया जिज्ञासा जी।
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना।
सस्नेह।
मुझे भी आनंद आ गया आपकी प्रतिक्रिया पढ़कर । बहुत आभार सखी।
हटाएंबहुत ही सुंदर सराहनीय लिखा आपने।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका अनीता जी।
हटाएंजितना आनन्द खिचरिया खाकर प्रभु को आ रहा उससे ज्यादा ये मधुर गीत पढ़कर रसिकों को आ रहा है।बहुत ही प्यारा गीत माधुर्य और भावों से सजा! हार्दिक शुभकामनाओं के साथ बधाई 🌺🌺🌺🙏
जवाब देंहटाएंइतनी सार्थक सुंदर टिप्पणी आनंद दे गई। आभार प्रिय सखी।
जवाब देंहटाएंआदरणीया सुधा जिज्ञासा सिंह जी ! प्रणाम !
जवाब देंहटाएंआनंद आ गया पढ़ कर , मानो रसखान जी की कोई रचना पढ़ी
बिना तालु बिनु दन्तु क भोजन, मनुज गुनन की खान।
खिचरी भोज मनहिं मुदितावे, रोगी रोग निदान।
अद्भुत !
प्रतिक्रया में विलम्ब हेतु क्षमा चाहूंगा !
आपको मकर सक्रांति एवं उत्तरायण की हार्दिक शुभकामनाएँ !
जय श्री राम !
बहुत बहुत आभार तरुण जी। आपकी टिप्पणी ने रचना को सार्थक कर दिया।
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