करें नववर्ष का स्वागत (गीत)


करें नव वर्ष का स्वागत, तहेदिल से सभी मिलके।

ये सृष्टि हंस रही है आज,अभिनंदन में खिलखिल के।


सजी है भोर सिंदूरी अवनि से दूर अंबर तक,

पहन कर किरण पैजनियाँ उतरती आज हो रुनझुन।

झुकी हैं बाग में डाली भरी गदराई कलियों से,

झरें मकरंद, भौरों की सुखद आमद करे गुनगुन॥


फलेंगे और फूलेंगे, कुसुम बन भाव हर दिल के।

करें नव वर्ष का स्वागत, तहेदिल से सभी मिल के॥


हवा में तैरते पंछी खेत में झूमती फसलें,

कि हर घर में नई सौगात ये नव वर्ष लाया है।

किसी के घर गुड़ी पड़वा, कहीं नवरात्रि का गरबा,

मगन हो झूमकर धरती ने मधुमय गीत गाया है॥


सितारों की मधुर रुनझुन, चाँदनी दे गई चल के।

करें नव वर्ष का स्वागत, तहेदिल से सभी मिल के॥


वो गुलमोहर मेरे द्वारे पे खिलकर हँस रहा ऐसे,

कि झरने की मधुर सरगम कहीं नव गीत गाती हैं।

सजी ड्योढ़ी पे रंगोली औ बंदनवार पल्लव के,

प्रकृति दुल्हन के जैसे शर्म से घूँघट उठाती है॥


है नव उल्लास का मौसम, ख़ुशी के भाव हैं छलके।

करें नव वर्ष का स्वागत, तहेदिल से सभी मिल के॥


**जिज्ञासा सिंह**

14 टिप्‍पणियां:

  1. नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ! सृष्टि की शोभा को बखानता सुंदर गीत

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  2. अहा सुंदर मुग्ध करती सुरुचि पूर्ण प्राकृतिक छटा से खिला काव्य।
    बहुत सुंदर सृजन जिज्ञासा जी।

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  3. वाह!जिज्ञासा जी ,बहुत खूबसूरत सृजन।

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  4. नववर्ष की सिंदूरी आभा बिखेरती बहुत ही सुंदर रचना।
    नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  5. करें नववर्ष का स्वागत ,तहेदिल से सब मिलके ये सृष्टिकाल रही आज अभिनंदन में खिलखिल के ... बेहतरीन सृजन

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  6. सृष्टि के सुन्दरतम स्वरूप के दर्शन करवाती अत्यंत सुन्दर कृति । नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ शुभकामनाएँ जिज्ञासा जी ।

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  7. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 30 मार्च 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

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  8. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज गुरुवार (30-03-2023) को   "रामनवमी : श्रीराम जन्मोत्सव"   (चर्चा अंक 4651)  पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    श्री राम नवमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।
    --
    डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  9. वाह!!!!
    बहुत ही सुंदर , मनोरम
    लाजवाब गीत
    सजी है भोर सिंदूरी अवनि से दूर अंबर तक,

    पहन कर किरण पैजनियाँ उतरती आज हो रुनझुन।

    झुकी हैं बाग में डाली भरी गदराई कलियों से,

    झरें मकरंद, भौरों की सुखद आमद करे गुनगुन

    👌👌👌👌👏👏👏👊

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