बंद आँखों की दुनिया बड़ी रूहानी है
जाने कितनी कवितायें जाने कितनी कहानी है
यहाँ देखा है मैंने अपना अद्भुत अवतार
खिलखिलाती वादियों का रूपहला संसार
अकेली मैं घूमती हुई
कभी इस डाल पे कभी उस डाल पे झूला झूलती हुई
पींगें मारती हूँ पहुँच जाती हूँ सितारों के आसमान में
चन्दामामा संग खेलती हूँ लुका-छिपी खुले मैदान में
ढूँढ लाती हूँ सीपियों के मोती भी सिंधु से नज़रें छुपाकर
पहन लेती हूँ गले में नगीनों संग सजाकर
कब पक्षियों के घोंसलों में झांक लूँ
बिना रोके टोके उनकी हर बात टाँक लूँ
कब तितली बन फूलों पर मंडराऊँ
कब भौंरों संग मधुर गीत गुनगुनाऊँ
कभी भी पेड़ों पर चढ़ अमिया तोड़ लूँ
कब अपनी धानी चुनर ओढ़ लूँ
कब पहुँच जाऊँ इंद्रधनुषी बचपन में
जाने कितनी बार पहुँची हूँ उस यौवन में
जिसकी यादों का कोई सानी नहीं
कुछ भी उतना ख़ूबसूरत रूमानी नहीं
कभी-कभी तो लगता है आँखें ही न खोलूँ
बस इन्हीं खूबसूरत सपनों का मज़ा लूँ
थक गई हूँ मैं अब खुली हुई आँखों से
रोज रोज के झंझावातों से
आख़िर मिलता ही क्या है आंखें खोलकर
हर कदम रखना पड़ता है तौल तौलकर
**जिज्ञासा सिंह**
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज मंगलवार 29 दिसंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंआदरणीय यशोदा जी, नमस्कार !"सांध्य दैनिक मुखरित मौन में"मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार..आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ ..
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल बुधवार (30-12-2020) को "बीत रहा है साल पुराना, कल की बातें छोड़ो" (चर्चा अंक-3931) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आदरणीय शास्त्री जी,नमस्कार ! मेरी रचना को चर्चा मंच पे शामिल करने के लिए आपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह..।
जवाब देंहटाएं'आख़िर मिलता ही क्या है आंखें खोलकर
जवाब देंहटाएंहर कदम रखना पड़ता है तौल तौलकर'
बहुत सही कहा आपने।
बहुत बहुत धन्यवाद यशवन्त जी.. सादर नमन..
हटाएंबहुत सुंदर रचना, आंखें न खोलो तो कैसे बोलो!
जवाब देंहटाएंहर घड़ी का बड़ी खूबसूरती से वर्णन किया है आपने
सादर
आपकी प्रशंसा को नमन है सादर..
हटाएंहर छंद लाजवाब ... पूर्णतः अपनी बात रखता है ...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की मंगल कामनाएं ...
जी बहुत बहुत आभार आपका.. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें..
हटाएंबहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपका बहुत-बहुत आभार ओंकार जी.. सादर नमन..
हटाएंख़ूबसूरत सृजन।
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..
हटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ सादर नमन..
हटाएंथक गई हूँ मैं अब खुली हुई आँखों से
जवाब देंहटाएंरोज रोज के झंझावातों से
आख़िर मिलता ही क्या है आंखें खोलकर
हर कदम रखना पड़ता है तौल तौलकर....
जीवन दर्शन का एक अत्यंत ही महत्वपूर्ण पहलू। ।।। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ आदरणीया।
अति सुन्दर प्रशंसा को हृदय से नमन करती हूँ..सादर नमन..
हटाएंवाह ! कल्पनाओं का सुंदर संसार !
जवाब देंहटाएंआदरणीय अनीता जी, आपकी स्नेहिल प्रशंसा को नमन करती हूँ..
हटाएंबेहतरीन लफ्ज़ । बधाई ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीया..सादर..
हटाएंआख़िर मिलता ही क्या है आंखें खोलकर
जवाब देंहटाएंहर कदम रखना पड़ता है तौल तौलकर
बहुत सुंदर।
प्रिय ज्योति जी आपकी प्रशंसा को नमन है..सादर..
हटाएंपींगें मारती हूँ पहुँच जाती हूँ सितारों के आसमान में
जवाब देंहटाएंचन्दामामा संग खेलती हूँ लुका-छिपी खुले मैदान में
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वाह क्या सुंदर भाव हैं! बहुत खूब जिज्ञासा जी। सादर। आपको नववर्ष की अग्रिम शुभकामनाएँ।
वीरेंद्र जी आपका तहेदिल से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..
हटाएंबंद आँखों की दुनिया बड़ी रूहानी है
जवाब देंहटाएंजाने कितनी कवितायें जाने कितनी कहानी है
कोमल भावनाओं से ओतप्रोत बहुत सुंदर रचना 🌹🙏🌹
सुन्दर टिप्पणी के लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..
हटाएंजिसकी यादों का कोई सानी नहीं, कुछ भी उतना ख़ूबसूरत रूमानी नहीं । बहुत सुंदर जिज्ञासा जी ।
जवाब देंहटाएंजी, बहुत बहुत आभारी हूँ, आपकी खूबसूरत सराहना की..सादर नमन..
जवाब देंहटाएंआख़िर मिलता ही क्या है आंखें खोलकर
जवाब देंहटाएंहर कदम रखना पड़ता है तौल तौलकर
वाह !!बहुत खूब
आपको और आपके समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
जी,बहुत बहुत आभार आपका प्रिय कामिनी जी,नव वर्ष की शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह..।
जवाब देंहटाएंबंद आँखों की दुनिया बड़ी रूहानी है
जवाब देंहटाएंजाने कितनी कवितायें जाने कितनी कहानी है
यहाँ देखा है मैंने अपना अद्भुत अवतार
खिलखिलाती वादियों का रूपहला संसार
अत्यंत सुन्दर सृजन। आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
आदरणीय मीना जी, नमस्कार !आपके स्नेहपूर्ण प्रेम का हृदय से नमन करती हूँ..आपकी प्रशंसनीय टिप्पणी का सदैव स्वागत है सादर जिज्ञासा सिंह..
हटाएं🙏नववर्ष 2021 आपको सपरिवार शुभऔर मंगलमय हो 🙏
जवाब देंहटाएंयशवन्त जी, आपको मेरा बहुत बहुत धन्यवाद..सादर नमन..
हटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंनववर्ष मंगलमय हो आपका!
आपकी प्रशंसा का तहेदिल से स्वागत करती हूँ..सादर नमन..
हटाएंप्रिय जिज्ञासा जी,आगत नववर्ष की ढेरों बधाईयां और शुभकामनाएं। सपरिवार सानंद और सकुशल रहें, यही दुआ करती हूँ🌹❤
जवाब देंहटाएंप्रिय रेणु जी, मैं आपका अपने ब्लॉग पर बेसब्री से इंकार कर रही थी और जब आप दिखीं तो मैं अपने गाँव भ्रमण के लिए गई थी और वहाँ इन्टरनेट की समस्या थी..इसके अलावा वहाँ थोड़ा व्यस्त भी थी..और आपको नववर्ष की बधाई भी नहीं दे पाई..क्षमा करियेगा..अपको मेरी तरफ से नववर्ष की ढेरों शुभकामनाएँ एवं मेरा हार्दिक अभिवादन..
जवाब देंहटाएंकोई बात नहीं जिज्ञासा जी। मस्त रहिये। आपके ब्लॉग पर हमेशा आती हूँ बस लिखा अक्सर नहीं जाता। आशा है जल्द हीc सब नियमित होगा। 🌹❤
हटाएंप्रिय रेणु जी, आप भी जीवन में खूब मस्त रहें और व्यस्त रहें. ईश्वर से यही कामना करती हूँ..
हटाएंकवि मन ही इन उन्मुक्त भावनाओं को शब्द देने में सक्षम होता है जो बहती सबके भीतर हैं पर उन्हें शब्द नहीं मिलते। मनभावन रचना 👌👌👌
जवाब देंहटाएंआपका हृदय से स्वागत करती हूँ आपने मेरी भावना को अपना कीमती समय दिया. जिसके लिए आपका बहुत-बहुत शुक्रिया..
जवाब देंहटाएंवाह!!!
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