सरहद पर तैनात सैनिकों के सम्मान में


प्रहरी तुम थक तो नहीं गए 

सरहद पर कब से खड़े हुए ।
सीना ताने तुम अड़े हुए ।।
आंखों में नींद के डोरे हैं,
पैरों में छाले पड़े हुए ।
प्रहरी तुम थक तो नहीं गए ।।

गर्मी की झुलसन जला गई ।
सर्दी की ठिठुरन जमा गई ।।
वर्षा की दलदल के भीतर, 
तुम पूरे भीगे खड़े हुए । 
प्रहरी तुम थक तो नहीं गए । 

जो मिला वही तुमने खाया । 
आराम नहीं तुमको भाया ।।
कंधे पे डाला युद्ध शस्त्र,
सीमा पर जाकर खड़े हुए ।
प्रहरी तुम थक तो नहीं गए ।

विश्वास हमें तुम पे है सदा ।
कोई भी आयेगी विपदा ।।
ये भूल ही जाना तुम क्या हो ?
और किस घर में थे जनम लिए ?
प्रहरी तुम थक तो नहीं गए ।

हम राह तुम्हारी देखेंगे ।
हम किसी हाल में रह लेंगे ।।
अपने मन को समझा लेंगे,
तुम देश के खातिर चले गए ।
प्रहरी तुम थक तो नहीं गए ।

जब फोन की घंटी बजी यहां ।
पूरा घर सन्नाटे में रहा ।।
एक सैनिक फिर कुछ यूं बोला,
तुम मातृभूमि पर गुजर गए ।।
तुम मातृभूमि पर गुजर गए ।।

**जिज्ञासा सिंह**

26 टिप्‍पणियां:

  1. "प्रहरी तुम थक तो नहीं गए"
    मन को गहरे छूती रचना की आत्मा है यह पंक्ति।
    आपकी सुंदर भावपूर्ण लेखनी के लिए मन से बहुत सारी शुभकामनाएं प्रिय जिज्ञासा जी।
    आप बहुत सुंदर लिखती हैं।

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    1. प्रिय श्वेता जी,सुन्दर सार्थक एवं स्नेहपूर्ण प्रशंसा के लिए हृदय से अभिनंदन करती हूँ सादर सप्रेम जिज्ञासा सिंह..

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  2. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शनिवार(१६-०१-२०२१) को 'ख़्वाहिश'(चर्चा अंक- ३९४८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    --
    अनीता सैनी

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    1. प्रिय अनीता जी, नमस्कार ! देर से जवाब देने के लिए क्षमा करियेगा..मेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका हृदय से अभिनंदन करती हूँ..सादर सप्रेम शुभकामना सहित जिज्ञासा सिंह..

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  3. सैनिकों के सम्मान में समर्पित हृदयस्पर्शी रचना ।

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    1. आदरणीय मीना जी,नमस्कार ! आपकी प्रशंसा को हृदय से नमन करती हूँ सादर आभार..

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  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 17 जनवरी 2021 को साझा की गयी है.... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. दिग्विजय जी, नमस्कार ! मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द" में शामिल करने के लिए आपका हृदय से अभिनंदन करती हूँ सादर शुभकामनाएं..

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  5. उनकी हर खुशी मिटी है हमारी हर खुशी के पीछे
    आखरी सांस तक हमें भी खड़ा रहना होगा उन्हीं के पीछे... यही सत्य है । अति सुन्दर भाव ।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद प्रिय अमृता जी, आपके कथन से सहमत हूँ..सादर नमन..

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  6. वाह बहुत ही बेहतरीन रचना

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  7. प्रशंसनीय टिप्पणी के लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ..सादर नमन..

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  8. देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत
    हृदयस्पर्शी रचना

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    1. बहुत बहुत आभार, प्रिय वर्षा जी ! आपकी प्रशंसा को नमन है..

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    1. मनोज जी आपकी प्रशंसनीय टिप्पणी को नमन है..सादर अभिवादन..

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  10. भावपूर्ण, देश भक्ति से परिपूर्ण बहुत ही सुन्दर सृजन - - लेखन शैली मुग्ध करती हुई - - साधुवाद आदरणीया।

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  11. देशभक्ति की भावना से ओतप्रोत, सैनिकों का हौसला बढ़ाती और उनके कार्य की महत्ता बतलाती बहुत ही सुंदर रचना,जिज्ञासा दी।

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    1. प्रिय ज्योति जी प्रोत्साहित प्रशंसा के लिए आपको बहुत बहुत धन्यवाद..सादर नमन..

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    1. आदरणीय सिन्हा जी,नमस्कार ! आपकी प्रशंसा को नमन है ..

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  13. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३१ दिसंबर २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  14. जब फोन की घंटी बजी यहां ।
    पूरा घर सन्नाटे में रहा ।।
    एक सैनिक फिर कुछ यूं बोला,
    तुम मातृभूमि पर गुजर गए ।।
    तुम मातृभूमि पर गुजर गए ।।

    देश के प्रहरी , हमारे सैनिकों के शौर्य को कहती सुंदर रचना । वो हैं तो हम सुरक्षित हैं ।
    नव वर्ष की शुभकामनाएँ ।

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  15. जो मिला वही तुमने खाया ।
    आराम नहीं तुमको भाया ।।
    कंधे पे डाला युद्ध शस्त्र,
    सीमा पर जाकर खड़े हुए ।
    प्रहरी तुम थक तो नहीं गए ।
    बहुत ही हृदयस्पर्शी सृजन...
    देश के प्रहरियों को नमन🙏🙏🙏

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