हर तरफ शोर है
मचा हुआ रोर है
कोई दुखी, कोई खुशी,
कानाफूसी जोर है
कभी इधर, कभी उधर
डोल रही नांव भंवर
नौकाएं रंगी हुईं
चप्पू हिलकोर है
कहीं महिला, कहीं पुरुष
तौल रहे सब पौरुष
आरक्षित सीट पर
मनौवल पुरजोर है
शंकर को गदा मिली
रामा को दो इमली
ओसाता किसान चिन्ह,
आज सिरमौर है
पुराने प्रधान की
आन बान शान की
लगी हुई वाट आज,
पीड़ा घनघोर है
पांच साल हो गया
कुछ भी न हमें मिला
घर में ही फूट मची,
चर्चा चहुंओर है
रग्घू को घर मिला
सरजू का बल्ब जला
मुनिया को शौचालय
झगड़े का दौर है
लोग बहुत रूठे हैं
कहें, सभी झूठे है
खड़े प्रत्याशी जितने
सभी कामचोर हैं
जिसको जिताते हम
बहुत धोखा खाते हम
काम नहीं ढेला भर,
वादा कड़ोर है
अपने सब हजम करें
खाए पिए,मौज करें
खुद के लिए जीते ये
हमें कहां ठौर है
यही तो विधान है
यही संविधान है
बड़ी बड़ी बातों का
ओर है न छोर है
काम किए या न किए
जीत की उम्मीद लिए
पंचायत चुनाव में
नाचे मन का मोर है
**जिज्ञासा सिंह**
अरे वाह भई वाह ! क्या लिखा है जिज्ञासा जी आपने ! पढ़कर आनंद आ गया ।
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी आपका बहुत बहुत आभार,सादर नमन ।
हटाएंवाह। बेहतरीन।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार शिवम जी,आपकी प्रशंसा को नमन है ।
हटाएंगजब एकदम शानदार तरीक से सच्चाई बयाँ कि आपने
जवाब देंहटाएंप्रिय प्रीति जी,आपका बहुत बहुत आभार एवम अभिनंदन ।
हटाएंसच पंचायत चुनाव ही तो हंस रहा है
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपकी विशेष टिप्पणी को नमन है ।
हटाएंबहुत अच्छे....वाह बहुत ही शानदार है...। ऐसे लेखन का आनंद ही कुछ और है...। खूब बधाई हो जिज्ञासा जी।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार संदीप जी, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन करती हूं । सादर अभिवादन ।
हटाएंशंकर को गदा मिली
जवाब देंहटाएंरामा को दो इमली
ओसाता किसान चिन्ह,
आज सिरमौर है
पुराने प्रधान की
आन बान शान की
लगी हुई वाट आज,
पीड़ा घनघोर है----.वाह
बहुत आभार 🙏🙏
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब जिज्ञासा जी | एक मीडियाकर्मी सी नज़रें गड़ा है जीवंत कर दिया चुनाव शब्दों में | चुनावी रणनीतिकार जो ना कर लें वो थोड़ा | चुनाव के ढोल बजते रहेंगे , इतिहास दोहराया जाता रहेगा | रोचक और सहज हास्य भरपूर व्यंग जो चुनावी व्यवस्था की पोल खोलता है |
जवाब देंहटाएंरेणु जी, आप को इन बातों का ज्ञान जरूर होगा, और जब अप इन चुनावों का आनंद लें तो आनंद और दोगुना हो जाता है,और जब आप सच्चाई से वाकिफ हों और अगला आपको चुनावों की हकीकत समझाए तो आनंद ही आनंद है, मैं आपके लिए जल्दी एक लोकगीत भी डालने वाली हूं,आपको बड़ा मज़ा आएगा । आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया मेरे लिए जड़ी बूटी है,कृपया स्नेह बनाए रखें,आदर सहित जिज्ञासा ।
जवाब देंहटाएंएक बात और है
जवाब देंहटाएंचुनाव का जो दौर है
सब किसी के हाथ में
मलाई का ही कौर है
बस बेचारा-सा कोरोना
ठिकाना न कोई ठौर है😀🙏🙏🙏
अपनी चुहलबाजी के लिए क्षमा प्रार्थी। बहुत बेहतरीन व्यंग्य रचना है आपकी। साधुवाद!!!
हटाएंबहुत सही विश्वमोहन जी, आपका अंदाज़ और तुकबंदी तो बिलकुल निराली है, आजकल यूपी के गांवों में चुनाव का दौर चल रहा है, और चुनाव के बारे में आप से क्या कहना, सब पता ही है, बस उसी को प्रासंगिक करने का छोटा सा प्रयास है,ये मेरा ।। आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन ।
हटाएंक्षमा की कोई बात नहीं,मुझे तो बड़ा आनंद आ गया,आपको पढ़कर,इतनी सुंदर प्रतिक्रिया,वो भी आपसे,बहुत ही आभारी हूं ।सादर जिज्ञासा सिंह ।
हटाएंसबसे बड़ा मनोरंजन उद्योग अपना चुनाव ही तो होता है जो मुर्दा में भी जान डाल सकता है । आनंद आया ... बहुत । फिर ये ... वाह !
जवाब देंहटाएंआपकी सटीक विवेचनात्मक प्रतिक्रिया,वो भी एक पंक्ति में,सुंदर अति सुंदर, सदैव स्नेह की आशा में जिज्ञासा सिंह ।
जवाब देंहटाएंबीबीअमृता जी समय मिले तो गीतों के ब्लॉग पर भी भ्रमण करें । आपको अच्छा लगेगा । होली पर आपकी विशेष टिप्पणी की प्रतीक्षा थी । जिज्ञासा ...
पंचायत चुनाव का इतना शोर है तो राज्य या देश के चुनाव में क्या क्या कटाक्ष होंगे जिज्ञासा ही मालिक है 😆😆😆😆
जवाब देंहटाएंजबदस्त चुनाव बिगुल ।
आदरणीय दीदी, सच कहूं तो पंचायत चुनाव बहुत ही संघर्ष पूर्ण होता है,लोगो की सोच सीमित,समस्याएं बिलकुल निजी और प्रत्याशी पड़ोसी होता है अतः इन चुनावों को लोग निज सम्मान की लड़ाई समझते है, और बड़ी मुखरता से आरोप प्रत्यारोप करते हैं, इसका अपना मज़ा है, बस आप केवल मूक दर्शक बनकर देखें और आनंद लें,काश मैं आपको दिखा पाती । आपकी विशेष और सराहनीय टिप्पणी को नमन है ।
हटाएंजबरदस्त प्रदर्शन चुनाव का, वाह क्या कहने जिज्ञासा, खूब लिखा है बधाई हो
जवाब देंहटाएंआदरणीय दीदी,आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन करती हूं,आप शायद इन दृश्यों से परिचित हों,और आनंद ले चुकी हों, आपने तारीफ को,ये मेरे लिए प्रेरणा है ।
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही कहा आपने। वैसे चुनाव तक मतदाताओं की भी मौज है। चुनाव तक ही सही! दावतों का दौर है। आपको बधाई।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार वीरेन्द्र जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय आलोक सिन्हा जी,आपको मेरा सादर अभिवादन ।
जवाब देंहटाएंबहुत ही शानदार...खूब लिखा है
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