चलो सुनाऊँ मेंघों की, कहानियाँ कमाल की
भूत की, भविष्य की, वर्तमान काल की
दादा मेरे रहते थे, घना घना सा गाँव था
घर के पीछे बाग था, घर के आगे छाँव था
हर गली गली में पेड़, फूलों की थीं वादियाँ
जिसके बीच बैठ, गीत गाती मेरी दादियाँ
चिड़ियों, तितलियों के बीच, खेलती मैं गोटियाँ
बर्फ से ढकी हुई थीं, पर्वतों की चोटियाँ
देख आसमान सारा, रश्मियों से भर गया
बन के मेघ धीरे धीरे, धरती पे उतर गया
काले काले मेघ आए, और घटाएँ घिर गईं
दामिनी के संग, झमाझम्म वो बरस गईं
भर गए तलाव, औ तरंगिनी भी बह चली
हरीतिमा से भर गई, गाँव की गली गली
हर तरफ बहार थी, बहार में उमंग थी
लहलहाते खेत, और चुनर सप्तरंग थी
इंद्रधनुषी आवरण में, छुप गया था आसमाँ
गांव मेरा छूट गया, उम्र का भी कारवाँ
माँ के संग डोलियों में, बैठ हम शहर चले
धीरे धीरे हम जमीं से, आसमान उड़ चले
काट डाले वृक्ष, अट्टालिकाऐं बन गईं
आसमानी बिजलियाँ, धरा पे जगमगा गईं
और बादलों का रंग, कालिमा से भर गया
बारिशों का दौर सिमट, करके यूँ ठहर गया
चार माह होती बरखा, दिनों में बदल गई
तटिनी बन तलाव,रेत कंकणो से भर गई
होती बारिशें हैं, आज भी मेरे जहान में
बदलियाँ भी घिरती हैं, मेरे आसमान में
पर धरा के तापमान, में कोई कमी नहीं
शुष्क होके जल गई, मृदा में है नमी नहीं
थक हैं जातें नैन, बाट जोहते फुहार की
बदलियों के आगमन की,उड़ रही बयार की
गर यही रहा तो वृष्टि, होगी एक कहानी में
बूढ़े होंगे नौजवाँ ,भरी हुई जवानी में
और न होंगे पेड़ न ही, नदियों की निशानियाँ
होगा न मनुज यहाँ, न कविता न कहानियाँ
इस धरा पे अग्नि और, शोले होंगे जल रहे
जो बचेंगे एक एक, बूंद को मचल रहे
कौन होगा जो भविष्य, इस तरह का चाहेगा
अपने हाथों से ही इस, जहान को मिटाएगा
इसलिए चलो भविष्य, विश्व का संवार दें
करके संकल्प, धारिणी को उपहार दें
नदियों को बचाएँ, पोखरों को भी सहेज लें
पेड़,पौधे, पानी, जीवजंतु का दहेज लें
झूमते वनों की एक, श्रृंखला बनाएँ हम
पर्वतों और सागरों की, तलहटी बचाएँ हम
नदियों और बारिशों की, फिर बहार आएगी
देखना धरा हमारी, खुश हो लहलहाएगी
बदलियाँ घिरेंगी, बारिशों में भीग जाएंगे
दादी और दादा, आसमाँ से मुस्कराएंगे
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुंदर 🌧️🌧️🌻🕊️
जवाब देंहटाएंबहुत आभार शिवम् जी,आपकी त्वरित टिप्पणी हमेशा उत्साह से भर देती है।आपका बहुत बहुत आभार।
हटाएंवाह सुंदर स्वप्न भविष्य का!
जवाब देंहटाएंआप का बहुत बहुत आभार अनुपम जी, आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंआपकी वाणी सत्य सिद्ध हो, यही मनोकामना है।
जवाब देंहटाएंजितेन्द्र जी,आपकी स्नेह भरी टिप्पणी को सादर नमन।
हटाएंअद्भुत!!!
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार विश्वमोहन जी,सादर नमन आपको।
हटाएंकितना अद्भुत लिखती हो ।
जवाब देंहटाएंमन तृप्त हो जाता है ।
यह सपना साकार हो बस यही कामना ।
आपके ये शब्द मेरे लिए अनमोल हैं,सृजन सार्थक हो गया,बहुत आभार आदरणीय दीदी।
हटाएंहर तरफ बहार थी, बहार में उमंग थी
जवाब देंहटाएंलहलहाते खेत, और चुनर सप्तरंग थी
इंद्रधनुषी आवरण में, छुप गया था आसमाँ
गांव मेरा छूट गया, उम्र का भी कारवाँ
प्रिय जिज्ञासा जी , आज सखी कामिनी के लेख के साथ ये रचना यादों के जमाने से जोड़ गयी | उन भूली बारिशों की सरगम की खनक शीघ्र लौटे यही कामना है | सुंदर शिल्प में लिखी गयी रचना के लिए विशेष बधाई और स्नेह |
मेरी रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों ने मेरी शाम आनंदित कर दी, संजीवनी देते शब्द अभिभूत कर गए, बहुत बहुत आभार,सादर नमन।
जवाब देंहटाएंओहो...बहुत ही शानदार..। सब.समाहित है कविता में...। खूब बधाई
जवाब देंहटाएंसंदीप जी,आपका बहुत बहुत आभार, सादर नमन ।
हटाएंकाले काले मेघ आए, और घटाएँ घिर गईं
जवाब देंहटाएंदामिनी के संग, झमाझम्म वो बरस गईं
भर गए तलाव, औ तरंगिनी भी बह चली
हरीतिमा से भर गई, गाँव की गली गली
चित्रमय शब्द।
प्रवीण जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन।
हटाएंनदियों और बारिशों की, फिर बहार आएगी
जवाब देंहटाएंदेखना धरा हमारी, खुश हो लहलहाएगी
बदलियाँ घिरेंगी, बारिशों में भीग जाएंगे
दादी और दादा, आसमाँ से मुस्कराएंगे
आमीन !! आपकी दुआओं के साथ हमारी दुआ भी शामिल है मगर ये तभी होगा जब हम सब जागरूक होंगे वरना कोरी कल्पना ही रह जाएगी।
बचपन के बारिश और सावन के झूले का सैर करती,साथ ही साथ सकारत्मक सोच से ओज जगाती लाजबाब सृजन सखी,भुत,वर्तमान और भविष्य सबको समेट लिया आपने।
आपकी लेखनी का जबाब नहीं,माँ सरस्वती आप पर अपनी कृपा बनाये रखें ,सादर नमन
आपकी सुंदर व्याख्यात्मक भावों भरी प्रतिक्रिया ने कविता के सृजन को सार्थक बना दिया । सच अभिभूत हूं प्रिय सखी । आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं एवम नमन।
हटाएंबहुत सुन्दर ।
जवाब देंहटाएंआदरणीय उर्मिला जी आपका बहुत बहुत आभार,आपको मेरा सादर अभिवादन।
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार 21 जून 2021 को साझा की गई है ,
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।संगीता स्वरूप
आदरणीय दीदी,प्रणाम !
जवाब देंहटाएंआपका दोबारा ब्लॉग पर आना मेरे लिए सौभाग्य की बात है,रचना के चयन के लिए आपका कोटि कोटि आभार। आपके स्नेह को सादर नमन करती हूँ, शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..
सुंदर रचना , सुंदर संदेश देती हुई
जवाब देंहटाएंशरद जी, ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति देख अति प्रसन्नता हुई,आपका बहुत आभार एवं अभिनंदन।
जवाब देंहटाएं*शरद/शारदा जी
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