चाँदनी रात की बरसात

आज वर्षों बाद देखी रात में बरसात मैने

थी गगन में चमकती सी चाँदनी, 
और धरा पे दीपकों की रोशनी
कड़क कर ज्यों जगमगाई दामिनी
देख ली तीनों की सुंदर सरस मुलाकात मैने
आज वर्षों बाद देखी रात में बरसात मैंने

चाँदनी ने हाल पूछा ज्यूँ बिखरकर
दीपकों ने ज्योति फैलाई जलाकर  
जगमगाती रोशनी में झर रही झिलमिल सी बूंदें
है संजोयी मन में जगती एक सुंदर आस मैंने
आज वर्षों बाद देखी रात में बरसात मैंने

कौन कहता बारिशों में चाँद गुम है
वो मेरी आँखों में ठहरा थोड़ा नम है
देखती हूँ आते जाते रूप उसका है बदलता
थाम ली हैं उँगलियाँ और रोक ली हैं साँस मैंने
आज बरसों बाद देखी रात में बरसात मैंने

**जिज्ञासा सिंह**

28 टिप्‍पणियां:

  1. अच्छा गीत रचा है आपने जिज्ञासा जी। चूंकि प्रत्येक अंतरे की अंतिम पंक्ति (चौथी पंक्ति) 'मैंने' से समाप्त होती है, अतः प्रथम अंतरे में 'हो रही तीनों की' के स्थान पर कोई अन्य शब्द (जैसे 'देखी तीनों की) होना चाहिए जिसकी 'मैंने' के साथ संगति बन सके। यदि मेरी यह बात आपको अन्यथा लगे तो मैं क्षमाप्रार्थी हूँ।

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    1. आदरणीय जितेन्द्र जी, आपकी सलाह सिर आंखों पर । आपका हर सुझाव रचना की पूर्णता परिचायक है। मैने पहले सही किया फिर जवाब लिख रही हूं । आपकी प्रशंसा और सलाह दोनों को मेरा सादर नमन एवम वंदन ।

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    1. आपकी प्रशंसा ने गीत को सार्थकताप्रदान की है, आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन ।

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  3. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 20 अक्टूबर 2021 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

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  4. मेरी रचना को "पांच लिंकों का आनन्द में" स्थान देने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम अभिनंदन पम्मी जी, आपके स्नेह को नमन करती हूं,बहुत बहुत शुभकामनाएं ।

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  5. चांदनी की रात की बरसात इतनी खूबसूरत होती है शायद ही उतनी खूबसूरत बरसात या फिर खूबसूरत रात कोई और होती होगी!
    चांदनी रात में बरसात का नजारा जितना खूबसूरत होता है उतनी ही खूबसूरती से आपने रचना के जरिए बयां किया है!
    चांदनी रात की बरसात का खूबसूरत वर्णन करती हुई बहुत ही सुंदर रचना!

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    1. बहुत बहुत आभार मनीषा, तुम्हारी सुंदर प्रतिक्रिया रचना को
      सार्थक बना गई ।

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  6. कल ही यह दृश्य देखा था। जल बरसा फिर अमृत बरसा। सब सजीव कर गयी, आपकी पंक्तियाँ।

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    1. बहुत बहुत आभार प्रवीण जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन।

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  7. रात में हुई वर्षा का सुंदर सजीव चित्रण !

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  8. सुन्दर दृश्य उकेरती सरस रचना, हार्दिक बधाई जिज्ञासा जी।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद आपका ।आपकी प्रशंसा को सादर नमन ।

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  9. mera bhi ek blog hain jis par main hindi ki kahani dalti hun pleas wahan bhi aap sabhi visit kare - Hindi Story

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  10. कौन कहता बारिशों में चाँद गुम है
    वो मेरी आँखों में ठहरा थोड़ा नम है
    देखती हूँ आते जाते रूप उसका है बदलता
    थाम ली हैं उँगलियाँ और रोक ली हैं साँस मैंने
    आज बरसों बाद देखी रात में बरसात मैंने
    वाह!!!!
    बहुत ही मनभावन गीत रचा है आपने जिज्ञासा जी! चाँदनी रात और बरसात तिस पर ये खूबसूरत एहसासात....
    बहुत ही लाजवाब।

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  11. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार(२१-१०-२०२१) को
    'गिलहरी का पुल'(चर्चा अंक-४२२४)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. अनीता जी,नमस्कार ! मेरी रचना के चयन के लिए आपका बहुत बहुत आभार और अभिनंदन ।मेरी हार्दिक शुभकामनाएं ।

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय ओंकार जी, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन 🙏

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  13. उत्तर
    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय जोशी जी, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन 🙏

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  14. हमेशा की तरह बहुत सुंदर सृजन। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय वीरेन्द्र जी, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन 🙏

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  15. बहुत बहुत आभार आदरणीय गगन जी, आपकी प्रशंसा को हार्दिक नमन एवम वंदन 🙏

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