कंपकंपाती ठंड ( वर्ण पिरामिड )

ये
ठंड
कहर
ठिठुरन
तन बदन
जलाएँ अलाव
हो सर्दी से बचाव ।।

वो  
सर्दी
पीड़ित
धनहीन
छत विहीन
वृद्धावस्था धारे
हैं काँपते बेचारे ।।

दें
दर्द
सर्दियाँ 
जाड़ा जूड़ी
मुई निगोड़ी
कंबख्त जालिम
ओढ़वा दे जाज़िम ।।

वो
सर्द
हवाएँ 
कंपवाएँ 
दाँत औ धुजा
खत्म करें मजा
ठंड दे रही सजा ।।

रे
नर 
ओढ़ना
औ बिछौना
रजाई कम्मर
बैठ ओढ़कर
मरेगा ठिठुरकर ।।

पी
चाय
तुलसी
गर्मागर्म
शक्ति आयाम
भेदे ठंड हाड 
पेय है रामबाण ।।

**जिज्ञासा सिंह**

10 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह! ये वर्ण पिरामिड तो वाकई बढिया है।

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    1. बहुत-बहुत आभार नीतीश जी आपकी प्रशंसा को नमन और वंदन ।

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  2. बहुत-बहुत आभार आदरणीय सर ।आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को मेरा हार्दिक नमन और बंदन ।

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  3. वो
    सर्द
    हवाएँ
    कंपवाएँ
    दाँत औ धुजा
    खत्म करें मजा
    ठंड दे रही सजा ।।
    बहुत ही भावपूर्ण सृजन..

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  4. बहुत आभार प्रिय मनीषा । मेरा स्नेह और आशीष ।

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  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (27-12-2021 ) को 'चार टके की नौकरी, लाख टके की घूस' (चर्चा अंक 4291) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। रात्रि 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  6. चर्चामंच में मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार आदरणीय रविंद्र सिंह यादव जी । चर्चामंच को और आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं💐🙏

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  7. सर्दी के जन मानस पर प्रभाव को बेहद कुशलता से वर्ण पिरामिडों में साकार किया है जिज्ञासा जी ! आपकी लेखनी का जादू हर विषय पर बड़ी सफलता से चलता है ।
    बहुत बहुत बधाई आपको सुन्दर सृजन हेतु ।

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  8. आपकी प्रशंसा भरी प्रतिक्रिया ने सृजन को सार्थक कर दिया आपका बहुत बहुत आभार । आपको मेरा नमन और वंदन ।

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