भरी गागरी बड़ी जतन से
मिट्टी वाली ।
ठूँस ठूँस कर भरी गई
फिर भी है खाली ॥
स्वर्ण रत्न की घोंट पिलायी
हीरे मोती पन्ना,
माणिक मुकुट जड़ा कुंदन संग
बनी सेठ वो धन्ना,
डाल कंठ मोती की लड़ियाँ
ठसक भरी मतवाली ।
भरी गागरी बड़ी जतन से
मिट्टी वाली ॥
ख्याति हुई चहुँ ओर दिशा में
व्यापारों का मेला,
तुला लिए अनगिन सौदागर
झोल भाव का खेला,
तुलापट्ट की तने तने
चटकी तनकर डाली ।
भरी गागरी बड़ी जतन से
मिट्टी वाली ॥
राबा ढाबा किसका
जाने कैसा राबा ढाबा,
फँसा भँवर में चप्पू ढूँढे
जमुना तट दोआबा,
गागर की पहचान बनी
अब मिट्टी काली ।
भरी गागरी बड़ी जतन से
मिट्टी वाली ॥
**जिज्ञासा सिंह**
इस मिट्टी की गगरी को ही बस सजाते संवारते राह जाते हैं । और एक दिन ये भी जल कर काली मतलब की राख हो जाती है । गहन और बेहतरीन अभव्यक्ति ।।
जवाब देंहटाएंत्वरित और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आपका बहुत बहुत आभार दीदी ।आपको मेरा सादर अभिवादन।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि के लिंक की चर्चा कल बुधवार (01-06-2022) को चर्चा मंच "जीवन जीने की कला" (चर्चा अंक-4448) पर भी होगी!
जवाब देंहटाएं--
सूचना देने का उद्देश्य यह है कि आप उपरोक्त लिंक पर पधार कर चर्चा मंच के अंक का अवलोकन करे और अपनी मूल्यवान प्रतिक्रिया से अवगत करायें।
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
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आदरणीय शास्त्री जी, प्रणाम!
जवाब देंहटाएंरचना को चर्चा मंच में चयन करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
गागरी तो मिट्टी की ही रहेगी, चाहे उसमें हीरे-जवाहरात रखो, चाहे उसमें तुच्छ से तुच्छ सामान रखो.
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार आदरणीय ।
हटाएंस्वर्ण रत्न की घोंट पिलायी
जवाब देंहटाएंहीरे मोती पन्ना,
माणिक मुकुट जड़ा कुंदन संग
बनी सेठ वो धन्ना,
डाल कंठ मोती की लड़ियाँ
ठसक भरी मतवाली ।
भरी गागरी बड़ी जतन से
मिट्टी वाली ॥
..वाह! बहुत खूब!
मनोबल बढ़ाती प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार कविता जी ।
हटाएंवाह, निर्जीव को सजीव कर देने का सुन्दर उदाहरण।बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका विमल कुमार जी
हटाएंक्या बात है.... बहुत सुंदर
जवाब देंहटाएंआपका बहुत आभार गगन जी।
हटाएंवाह अनमोल रचना,साधुवाद |
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार अनुपमा जी ।
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" बुधवार 1 जून 2022 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंअथ स्वागतम शुभ स्वागतम।
कल शायद पब्लिश नहीं हुआ था..🙏
बहुत बहुत आभार पम्मी जी ।
हटाएंवाह वाह!सुंदर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका ।
हटाएंगागर के बहाने जीवन के मर्म को बतातीं सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंबहुत आभार दीदी ।
हटाएंसुन्दर अभिव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय।
हटाएंवाह बेहद खूबसूरत रचना जिज्ञासा जी।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार अनुराधा जी ।
जवाब देंहटाएंगहन ,गूढ़ , गंभीर भावाभिव्यक्ति जिज्ञासा जी ! अत्यंत सुन्दर सृजन ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार मीना जी ।
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