सुंदर रंगबिरंगी
राखी मैं तो लाई रे ।
मेरे भैया की सजेगी कलाई रे ॥
ये देवकी का जाया जो लाल है
और सुभद्रा का कृष्ण गोपाल है
उसके हाथों में आज सजाऊँगी
मैं तो रेशम का धागा लाल लाल है
सखी देखो न शुभ घड़ी आई रे ।
मेरे भैया की सजेगी कलाई रे ॥
प्रेम दीपक जलाने का दिन ये
नेह ममता लुटाने का दिन ये
हल्दी अच्छत का टीका लगाया
रोली चंदन सजाने का दिन ये
लाख संग में दुआएँ लाई रे ।
मेरे भैया की सजेगी कलाई रे ॥
कोई चंदा कहे कोई सूरज
मेरे आँगन रहा है सितार बज
हर रिश्ते से बड़ा है ये रिश्ता
भैया अम्बर पे करे सदा जगमग
आज रिश्तों में घुलेगी मिठाई रे ।
मेरे भैया की सजेगी कलाई रे ॥
**जिज्ञासा सिंह**
सुन्दर राखी गीत !
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय सर।
हटाएंवाह! बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय विश्वमोहन जी ।
हटाएंसुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार दीदी ।
हटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (13-08-2022) को "हमको वो उद्यान चाहिए" (चर्चा अंक-4520) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
गीत को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन आदरणीय शास्त्री जी। मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
हटाएंआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 14 अगस्त 2022 को साझा की गयी है....
जवाब देंहटाएंपाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
"पांच लिंकों का आनंद" में गीत को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन।
हटाएंस्वतन्त्रता दिवस की हीरक जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई।
सुंदर प्रस्तुति 👌👌
जवाब देंहटाएंआपका हार्दिक आभार और अभिनंदन ।
जवाब देंहटाएंरक्षा बंधन के सुंदर भावों को पिरोकर बनाई गयी एक सुंदर रचना आदरणीय । बहुत बधाइयाँ ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय।
हटाएंराखी पर लिखी मन को छूती रचना
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर
बहुत बहुत आभार आपका।
हटाएंबेहद खूबसूरत गीत।
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंबहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंबहुत आभार आपका भारती जी ।
जवाब देंहटाएंकोई चंदा कहे कोई सूरज
जवाब देंहटाएंमेरे आँगन रहा है सितार बज
हर रिश्ते से बड़ा है ये रिश्ता
भैया अम्बर पे करे सदा जगमग
आज रिश्तों में घुलेगी मिठाई रे ।
मेरे भैया की सजेगी कलाई रे ॥
👌👌👌👌बहुत ही प्यारी रचना प्रिय जिज्ञासा।भाई हम बहनों के लिए जीवन का सबसे बड़ा संबल होते हैं।राखी भाई बहन के स्नेह में अभिनव रंग भरती है।एक बहन के स्नेहिल उदगारों को बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति दी है आपने।ईश्वर से प्रार्थना है कि राखी बंधवाने वाली कलाई और बाँधने वाले हाथ सदा सलामत रहें।बहुत-बहुत बधाई और शुभकामनाएं आपको।
इतनी प्यारी और सारगर्भित और सुंदर प्रतिक्रिया के वंदन सखी !
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