फुलझड़ी पटाखे बैन.. नवगीत

 

फुलझड़ी पटाखे बैन,

भला वे अब क्या ढूँढेंगे ?

दीवाली की भोर में ले,

जो ठेलिया घूमेंगे 


बीते बरस  गए ले

मुन्ना-मुन्नी का रेला 

जलती फुलझड़ियों में

आधी रात चढ़ाए ठेला 

प्लास्टिक के खोखे से

खुशपिचकारी खेलेंगे 


सुतली बम की सुतली पर

कपड़ों में धूप लगेगी 

टूटेगीफिर-फिर टूटेगी

दस-दस गाँठ जुड़ेगी 

गिरते धूल-धूसरित कपड़े

बारम्बार धुलेंगे 


खोखों का ढक्कन पीतल 

काबाँछें खिली हुईं 

मुन्नी की अम्मा ले लेगी

छोटी-बड़ी सुई 

बखिया कर घर-नात, कोठारी,

गुदड़ी फटी सिलेंगे 


**जिज्ञासा सिंह**

13 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर लिखा है आपने। दीपाली से जैसे किसी ने ज्योति की झिलमिलाती नर्तनी छीन ली गई हो, ऐसी बेनूर कर दी गई है इसे।।।
    दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं।।।।

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  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 23 अक्तूबर 2022 को साझा की गयी है....
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (22-10-22} को "वीरों के नाम का दिया"(चर्चा अंक-4589) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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  4. आपकी लिखी रचना सोमवार 24 अक्टूबर 2022 को
    पांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    संगीता स्वरूप

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  5. जो किसी साधन संपन्न के लिए दिखावा और आडम्बर है वही एक विपन्न के लिए जीवन की खुशियों का आधार और व्यापार हैं।किसी के विध्वंस के पीछे भी कई लोगों के अनगिन सपने जुड़े हैं।।एक मर्मान्तक अभिव्यक्ति जो मन को छू गई।

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  6. दीपोत्सव पर आपको सपरिवार हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं 🎊🎊🎉🎉🎀🎀🎁🎁🌺🌺♥️🌹🙏

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  7. सुन्दर रचना । दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ l

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