झूमकर मधुमास आया

 

झूमकर मधुमास आया,

कर गया है पीतमय

बैठ जाओ पास मेरे,

हो गई हूँ गीतमय


झील के उस पार दिखता,

पेड़ जो आधा झुका

डालियों पे बैठ उसके,

गीत जो मैंने लिखा

आज उन गीतों को गाने का,

बड़ा सुंदर समय


बैठ जाओ पास मेरे,

हो गई हूँ गीतमय


नीड़ की डाली से उतरूँ

ठहर जाऊँ छाँव में

हो प्रफुल्लित पुष्प 

चढ़ जाते हमारे पाँव में

चूम लेते रजतकण,

हो लिपट जाते प्रीतमय


बैठ जाओ 

पास मेरे 

हो गई हूँ गीतमय


गुलमोहर की टहनियों से 

लटकती है वल्लरी

चूमते अधरों को कुमकुम 

केसरी रंग रसभरी

कोंपलें खिलने लगीं,

जो थीं अभी तक शीतमय


बैठ जाओ 

पास मेरे 

हो गई हूँ गीतमय


**जिज्ञासा सिंह**

बसंत पंचमी हार्दिक शुभकामनाएँ

🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼🌺🌼

11 टिप्‍पणियां:

  1. बासंती बयार सा मन को सहला गया यह मधुगीत!

    जवाब देंहटाएं
  2. माघ का मौसम बसंत पंचमी का दिन नव कोंपल खिलने का समय ... मन को छू गई ये बयार ...

    जवाब देंहटाएं
  3. माघ की मह मह हवा यह
    अब थोड़ी फगुआ गई है।
    हिया हर्षित मिलन मन की
    जिज्ञासा को जगा गई है।
    पुलक पुलक, अंग हुए, वासंती रंगमय।।

    बैठे रहो
    संग मेरे
    हों गया अनंगमय।

    ....बहुत सुंदर🙏🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बसंती रंग बिखेरती बहुत सुंदर आशु पंक्तियां रचीं आपने गीत पर। बहुत आभार आपका।

      हटाएं
  4. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 26 जनवरी 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं
  5. आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर गुरुवार 26 जनवरी 2023 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!

    !

    जवाब देंहटाएं