चिट्ठियाँ (माँ की धरोहर )

माँ के बक्से में रक्खी हुई चिट्ठियाँ
लाल कपड़े में लिपटी हुई चिट्ठियाँ

कौन, क्यूं, किसको, कब, क्या, हुआ है यहाँ 
नीली स्याही से रच रच लिखीं चिट्ठियाँ

पोस्टकार्ड भी है और लिफाफा भी है 
अंतर्देशी में सुख दुख भरी चिट्ठियाँ

आज मुन्नू गया, छुटकी कल जाएगी
सबका कॉलेज खुला कह रहीं चिट्ठियाँ

इसकी शादी हुई उसका गौना हुआ
रज्जो भाभी के बेटी हुई चिट्ठियाँ

कल थी मन्नो की शादी बड़ी धूम थी 
बड़ा सुन्दर है दूल्हा कहें चिट्ठियाँ

फूल मंडप सजा जयमाला हुआ
आए चालिस बराती सजे चिट्ठियाँ

खूब खाए सभी खूब गाए सभी
बैंड फ़ौजी ले आए नचें चिट्ठियाँ

चाचा रंगून हैं ताऊ दफ्तर गए
पापा आऐंगे, धीरज बने चिट्ठियाँ

दादी काशी गईं फिर अयोध्या गईं
तुमको पायल हैं लाईं बजें चिट्ठियाँ

जब से लौटी हैं तब से ही बीमार हैं
रात दिन याद करतीं तुम्हें चिट्ठियाँ

देखो रोना नहीं, तुम समझदार हो
माँ की सीखों से पूरी रचीं चिट्ठियाँ

दुनिया छोड़े हुए माँ को बीते बरस
हाय कैसे संभाली रखीं चिट्ठियाँ

इनमे शोखी भी है और श्रृंगार भी 
त्याग, संयम औ भावों भरी चिट्ठियाँ

मन है भावुक बहुत माँ तेरी याद में
अब तो जाती नहीं हैं कहीं चिट्ठियाँ

वरना लिखती मैं तुमको मनोवेदना
स्वर्ग में भेज देती कई चिट्ठियाँ

**जिज्ञासा सिंह**

46 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 03 मार्च 2021 को साझा की गई है.........  "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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    1. आदरणीय यशोदा दीदी, नमस्कार !
      ब्लॉग पर आपके स्नेह की आभारी हूं..साथ ही मेरी रचना को "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं..सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह..

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  2. चिट्ठियों का वो दौर क्या दौर था। आज की पीढ़ी तो उस सुख-दुख और भावनाओं से महरूम ही है।

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  3. यशवन्त जी, आपका बहुत बहुत आभार ब्लॉग पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार व्यक्त करती हूं..सादर नमन..

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  4. माँ के बक्से में रक्खी हुई चिट्ठियाँ
    लाल कपड़े में लिपटी हुई चिट्ठियाँ

    कौन, क्यूं, किसको, कब, क्या, हुआ है यहाँ
    नीली स्याही से रच रच लिखीं चिट्ठियाँ

    पोस्टकार्ड भी है और लिफाफा भी है
    अंतर्देशी में सुख दुख भरी चिट्ठियाँ

    चिट्ठियां अब तो सिर्फ़ यादों में शेष हैं। sms, chat, email के इस ज़माने में चिट्ठियों को याद करना.... बधाई जिज्ञासा जी 🙏
    बहुत सुंदर रचना ...

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    1. प्रिय वर्षा जी, आपका बहुत बहुत आभार एवं अभिनंदन..आत्मविभोर करने वाली प्रशंसा को नमन करती हूँ..

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  5. माँ के बक्से में रक्खी हुई चिट्ठियाँ

    लाल कपड़े में लिपटी हुई चिट्ठियाँ


    दीदी आपने यादों का पिटारा खोल दिया

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    1. बहुत आभार मनोज भाई..आपकी प्रतिक्रिया का हृदय से स्वागत करती हूँ..

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  6. बहुत ही सुंदर रचना जिज्ञासा जी, खत सारे हाल बयां करते रहे , आपकी चिट्ठी मे सारी बातें को बखूबी दर्शाया गया है , लाजवाब, बहुत बहुत बधाई हो

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    1. दीदी ये सारी बातें मैंने सच में मैंने अपने बचपन में महसूस की हैं..जब माँ नहीं रहीं तो उनकी चीजें हम टटोलकर उन्हें खोजते थे..तब मैंने ये चिट्ठियाँ पढ़ी थीं..अभी तो मेरे ज़ेहन में बहुत से मज़मून हैं..आइंदा फिर लिखने की कोशिश करूँगी..आपके स्नेह से मन पुलकित है..सादर नमन..

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  7. मन है भावुक बहुत माँ तेरी याद में
    अब तो जाती नहीं हैं कहीं चिट्ठियाँ

    वरना लिखती मैं तुमको मनोवेदना
    स्वर्ग में भेज देती कई चिट्ठियाँ...
    सुंदर रचना जिज्ञासा जी ।

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    1. बहुत बहुत आभार प्रिय सधु जी, आपकी टिप्पणी का ब्लॉग पर पाकर अभिभूत हूँ..सादर नमन..

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  8. मन है भावुक बहुत माँ तेरी याद में
    अब तो जाती नहीं हैं कहीं चिट्ठियाँ

    वरना लिखती मैं तुमको मनोवेदना
    स्वर्ग में भेज देती कई चिट्ठियाँ ।

    सच वो चिट्ठियाँ कितना याद आती हैं ।प्रतीक्षा रहती थी चिट्ठी आने की । अब चिट्ठियों का ज़माना गया । बहुत भावपूर्ण लिखा है ।।

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    1. आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया का हमेशा इंतज़ार रहता है..इतनी सुंदर टिप्पणी रहती है की अभिभूत हो जाती हूँ..सदैव स्नेह की आकांक्षा में जिज्ञासा सिंह..

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  9. मन है भावुक बहुत माँ तेरी याद में
    अब तो जाती नहीं हैं कहीं चिट्ठियाँ
    बेहद हृदयस्पर्शी रचना 👌👌

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    1. बहुत बहुत आभार आदरणीय दीदी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हृदय से नमन करती हूँ..सादर शुभकामनाएँ जिज्ञासा सिंह..

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  10. माँ के बक्से में रक्खी हुई चिट्ठियाँ
    लाल कपड़े में लिपटी हुई चिट्ठियाँ

    कौन, क्यूं, किसको, कब, क्या, हुआ है यहाँ
    नीली स्याही से रच रच लिखीं चिट्ठियाँ

    दिल जीत लिया आपने जिज्ञासा जी,माँ की सारी चिट्ठियाँ आँखों के सामने आ गई,वो हर एक बातें चलचित्र की भाँति घूमने लगी है।
    हृदयस्पर्शी सृजन,सादर नमन आपको

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  11. बहुत आभार एवं अभिनंदन आपका प्रिय कामिनी जी, सच चिट्ठी लिखने के बाद उसके जवाब का कितना इंतज़ार होता था..वो भी मायके की चिट्ठी..ये कविता मैंने अपनी माँ की चिट्ठियाँ, जो उनके मायके से आती थीं.की प्रेरणा से लिखीं..आपको अच्छी लगी..मेरा अहोभाग्य..आपके स्नेह की निरंतर आभारी हूँ..सादर नमन..

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  12. बहुत सुन्दर सृजन। ह्रदय स्पर्शी रचना - -

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    1. शांतनु जी आपका हृदय से बहुत आभार..आपकी प्रशंसा को नमन है..

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    1. ओंकार जी आपका तहेदिल से आभार व्यक्त करती हूं..सादर नमन..

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  14. सुंदर और हृदयस्पर्शी रचना के लिए आपको बधाई। माँ की चिट्ठियों का ऐसा सुंदर वर्णन भावुक करने के लिए पर्याप्त है।

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    1. आपकी प्रशंसनीय भावपूर्ण प्रतिक्रिया का स्वागत करती हूं..ब्लॉग पर आपके स्नेह की आभारी हूं..

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  15. बहुत सुन्दर, अति सराहनीय एवं सम्पूर्ण रूप से छंदबद्ध गीत रचा है जिज्ञासा जी आपने । प्रशंसा के लिए शब्द ही अल्प प्रतीत हो रहे हैं । इस गीत ने मेरे मन को छुआ भी और जीता भी । मैं इससे अतिरिक्त जुड़ाव इसलिए भी अनुभव कर रहा हूँ क्योंकि मैं आज भी चिट्ठियां लिखना पसंद करता हूँ ।

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    1. जी बहुत आभार आपका जितेन्द्र जी, सच में चिट्ठियों में व्यक्त भावों का कोई जोड़ नहीं ..आपकी प्रशंसा का हृदयतल की गहराइयों से स्वागत करती हूं..सादर नमन ..

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  16. माँ की चिट्ठियों से ऐसा हार्दिक लगाव और जुड़ाव जीवन भर रहता है, आपने उसे कितने सुंदर शब्दों में पिरोया है, बहुत ही सुंदर कोमल भावनाओं से ओतप्रोत सुंदर रचना ! बहुत बहुत बधाई !

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  17. आदरणीय अनीता जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हृदय से लगा लिया है और बहुत आभारी हु ..ब्लॉग पर आप के स्नेह का अभिनंदन करती हूं..सादर नमन..

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  18. माँ की चिट्ठियाँ... हृदयस्पर्शी भावों को बहुत सुन्दर शब्दों में उकेरा है आपने । हृदयग्राही भावों से सजी सुन्दर रचना ।

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    1. आदरणीय मीना जी, आपका बहुत बहुत आभार.प्रशंसनीय टिप्पणी के लिए तहेदिल से आपको नमन है..

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  19. उत्तर
    1. आपका बहुत बहुत आभार,आदरणीय शास्त्री जी, आपकी प्रशंसा को नमन है..

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  20. दिल को छूती बहुत सुंदर रचना, जिज्ञासा दी।

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    1. प्रिय ज्योति जी,आपकी प्रशंसा को हृदय से नमन करती हूँ..सादर..

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  21. आपकी चिठ्ठयों ने मन को भिंगो दिया
    वाकई चिठ्ठियों के माध्यम से जीवन की सारी पीड़ाएँ दूर हो जाती थी
    बहुत सुंदर सृजन
    बधाई

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    1. आदरणीय ज्योति जी, आपकी सुंदर प्रशंसा से अभिभूत हूँ..सादर नमन..

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  22. प्रिय जिज्ञासा जी आपकी चिट्ठियों की खुशबू ने मेरी बचपने की अनेक मधुर स्मृतियों को जीवंत कर दिया।
    आप की लेखनी मन को झंकृत करने का हुनर खूब जानती है।
    लिखती रहेंं मेरी शुभकामनाएं स्वीकार करें।
    सस्नेह।

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  23. सच कहूँ,श्वेता जी ब्लॉग पर आप लोगों का लेखन देखकर काफ़ी कुछ सीखा है ।निरंतर आपके निश्छल स्नेह की आभारी हूँ..आपको मेरा नमन है..

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  24. पुरानी चिट्ठियों को लेकर मन कैसा-कैसा हो जाता है -हृदयग्राही चित्रण!

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  25. आपकी मनभावन टिप्पणी मन को खुश कर गई..आपको मेरा सादर अभिवादन..

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  26. प्रिय जिज्ञासा जी , आपकी इस रचना की पहली पाठक मैं होंगी शायद, लेकिन घरेलू दायित्वों की वजह से दुबारा आते -आते और लिखते देर हो जाती है | माँ की चिठियों सी धरोहर कोई इस संसार में नहीं | मेरी माँ हालाँकि इतनी पढ़ी लिखी हैं कि वे चिठ्ठी लिखना जानती हैं पर उन्होंने कभी मुझे कोई पत्र नहीं लिखा क्योकि मेरे विवाह के समय से ही फोन का चलन शुरू हो चुका था | पर फिर भी चिठियों का महत्व बहुत है मेरे लिए | मैंने अपने गली- पड़ोस की कई अनपढ़ माओं की ओर से उनकी बेटियों को अनेक बार चिट्ठियां लिखीं हैं | उनके स्नेहिल उदगार ज्यों के त्यों पत्रों में पिरोये हैं, सो जानती हूँ पत्र एक अनौपचारिक संवाद होता है माँ बेटी के बीच में; मन की व्यथा , ख़ुशी सब सहजता से जाहिर हो जाती है इसमें | बहुत भावपूर्ण रचना है आपकी | निशब्द कर देती हैं सभी पंक्तियाँ | यूँ ही लिखती रहिये | मेरी शुभकामनाएं|

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  27. प्रिय रेणु जी, आप समय निकालकर मेरी रचनाएं पढ़कर, जो प्रतिक्रियाएं देती है, वह मेरे लिए पुरस्कार स्वरूप हैं..रेणु जी मैं जब बहुत छोटी थी सात आठ साल की तभी माँ नहीं रहीं..तो मुझे तो कभी माँ की चिट्ठी मिली ही नहीं.. परन्तु मैने माँ के बक्से में रखीं उनके मायके की चिट्ठियां बहुत पढ़ी हैं.. माँ के भाईयों,भाभियों,मौसी और नानी की चिट्ठियां तो ऐसी हैं कि लगता है की सब कुछ आंखों के आगे चल रहा है,आपका बहुत बहुत आभार ब्लॉग पर आने के लिए..

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  28. ऎसी रचनाएँ रोमांचित कर जाती हैं... एक अलग प्रकार का रोमांच होता है.

    निज जीवन से जुड़े बिम्ब बहुत भाते हैं....

    तनाव भरी चर्चाओं से बाहर आकर ऎसी रचनाएँ सुकून देती हैं. वही मुझे अभी-अभी मिला है.

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  29. बहुत आभार आपका.. आपने देखा और प्रतिक्रिया दी,वो भी इतनी भावपूर्ण, रचना का सृजन सफल हो गया,आपको हार्दिक नमन..

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