बिछोह..गौरैया और गुड़िया

गौरैया 
और मेरी गुड़िया 
दोनों बचपन से 
हैं एक जैसे

मैं कहती हूं कुछ, वे सुनते हैं कुछ 
और करते हैं कुछ 
दोनों को पिंजरा पसंद नहीं 
दोनों समय की पाबंद नहीं
 
दोनों आसमान छूने को आतुर 
अपने को समझती
दोनों चतुर 
एसी की जाली में जन्मी गौरैया 
उड़ान भरते ही गिर गई मेरी अंगनैया 

गुड़िया ने उठाया दुलराया 
माँ की तरह सीने से लगाया 
जूते के डिब्बे में घर बनाया
जो खाती वो, वही खिलाया

बस क्या था
दोनों का हौसला था 
चिड़िया रानी फुर्र फुर्र उड़ने लगी 
गुड़िया भी संग संग दौड़ने लगी 

एक पिंजड़ा मंगाया गया
गौरैया का घर सजाया गया 
ऐसे  
घर की नई दुल्हन हो जैसे

अब जीना एक दूसरे के साथ था
एक के बिन दूजा उदास था 
दोस्ती परवान चढ़ी
एक दिन बदली उमड़ी घुमड़ी

चिड़िया ने रखी एक ख्वाहिश
गुड़िया से करी नन्हीं सी फरमाइश
थोड़ा बाहर निकालो न
बादल दिखाओ न

प्यारी सखी
मेरी अंखियाँ बहार देखने को हैं तरसी
अविश्वास 
की नहीं थी कोई बात 

गुड़िया ने पिंजड़ा खोला
खुला आसमान देख चिड़िया का दिल डोला 
वो उड़ गई पंख फड़फड़ा के
गुड़िया रोई चिल्ला चिल्ला के

मैं रह गई हतप्रभ
नादान गुड़िया आज भी है स्तब्ध
चुपचाप ऊपर देखती है 
और कहती है

मेरी चिड़िया उड़ी नहीं , उसे हवा उड़ा ले गई अपने साथ
वह रोती होगी माँ, जब उसे आती होगी मेरी याद ..

**जिज्ञासा सिंह**

59 टिप्‍पणियां:

  1. बिटिया की दोस्त गौरैया ने
    जब देखा अनंत आकाश
    नहीं याद रहा उसे कि
    उस पर था कितना विश्वास
    बिटिया आज भी गौरैया को
    करती रहती है हर पल याद
    गौरया भी मन में रखती हो साथ ।

    गौरया और बिटिया की दोस्ती की कथा सुंदर शब्दों में बुनी है ।

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    1. अरे वाह! बहुत बढ़िया दीदी, बेटी को दिखाऊँगी तो वह बड़ी खुश होगी, सुंदर नायाब आशु पंक्तियां, आपको नमन एवम वंदन ।

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  2. मार्मिक कविता । मैंने भी बचपन में एक बड़े आकार के गत्ते के डिब्बे में किसी घोंसले से गिरे चिड़िया के नन्हे बच्चे को पाला था । वयस्क होने पर वह चिड़िया उस छोटे-से घर को छोड़कर आकाश में उड़ गई । आपकी कविता ने उन स्मृतियों को ताज़ा कर दिया ।

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    1. बहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी, सुंदर संस्मरण सखा करने के लिए आपको धन्यवाद, आपको मेरा हार्दिक नमन ।

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  3. सादर नमस्कार,
    आपकी प्रविष्टि् की चर्चा शुक्रवार ( 19-03-2021) को
    "माँ कहती है" (चर्चा अंक- 4010)
    पर होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    धन्यवाद.


    "मीना भारद्वाज"

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    1. आदरणीय मीना जी, मेरी रचना को शामिल करने के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद एवम अभिनंदन, सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।

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  4. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 18 मार्च 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  5. आदरणीय दिग्विजय अग्रवाल जी, नमस्कार!
    ब्लॉग पर आपकी उपस्थिति ने ब्लॉग की शोभा बढ़ा दी, मेरी रचना को"सांध्य दैनिक मुखरित मौन में"शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार एवम शुभकामनाएं ।

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  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार १८ मार्च २०२१ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. प्रिय श्वेता जी, मेरी रचना को "पाँच लिंकों का आनंद पर" शामिल करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार, आपके स्नेह के लिए आभारी हूँ, सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ...

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  7. ज‍िज्ञासा जी आप बहुत खूबसूरती से सारे दृश्यों को सामने रख देती हैं...अद्भुत बहुत खूब ...गुड़िया ने पिंजड़ा खोला
    खुला आसमान देख चिड़िया का दिल डोला
    वो उड़ गई पंख फड़फड़ा के
    गुड़िया रोई चिल्ला चिल्ला के

    मैं रह गई हतप्रभ
    नादान गुड़िया आज भी है स्तब्ध
    चुपचाप ऊपर देखती है
    और कहती है...वाह

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    1. अलकनंदा जी आपकी अनुभूतिपूर्ण प्रशंसा के लिए हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ, कृपया स्नेह बनाए रखें, सादर नमन।

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  8. आदरणीय शास्त्री जी, आपकी अनमोल प्रशंसा शिरोधार्य है, आपको मेरा नमन एवं वंदन ...

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  9. चिड़िया की निष्ठुरता बिटिया क्या जाने?
    अपने सा सरल उस निर्मम को जाने!!
    शानदार काव्य चित्र प्रिय जिज्ञासा जी। दो अबोध मनों का निश्छल प्रेम की कथा मन को छू गयी। कहानी को शब्दों में ढालने के आपके हुनर को नमन। हार्दिक शुभकामनाएं 🌹🌹🙏❤❤

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  10. सुंदर आशु पंक्तियों को नमन प्रिय रेणु बहन, आपकी मनोहारी प्रशंसा दिल को छू गई ।

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  11. बहुत सुंदर सृजन गोरैया बेटी का शब्दों में चित्रण निसंदेह सराहनीय है।
    मन को छूती अभिव्यक्ति हेतु बधाई आदरणीया।
    सादर

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    1. अनीता जी,आपका बहुत बहुत आभार, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन करती हूं ।

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  12. वाह! अद्भुत महाकाव्य गौरैया और गुड़िया की।

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    1. आपकी प्रशंसा शिरोधार्य है, आपको मेरा सादर नमन है ।

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    2. हमने आपकी कविता को गौरैया संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाले इस देश की नामचीन हस्ती और हमारे मित्र संजय कुमार जी को भेजी है और इन्होंने अपने फ़ेसबुक पेज पर इसे आज स्थान दिया है। उन्होंने हमें भी टैग किया है। आप मेरे फ़ेसबुक पेज पर भी इसे देख सकती हैं। आपको ढेर बधाई!!!!

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    3. जी बहुत बहुत आभार विश्वमोहन जी, मैने गौरैया के ऊपर कई कविताएं लिखी हैं,वे मेरी डायरी में संरक्षित है,परंतु आपने उसे शेयर किया ,मैं बहुत ही खुश और अभिभूत हु,आपको मेरा सादर नमन, आज मैने लोकगीत ब्लॉग में गौरैया के ऊपर एक लोकगीत भी डाला है,आप नज़र डालेंगे तो महान कृपा होगी ।

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    1. आदरणीय शास्त्री जी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया और स्नेह को नमन करती हूं, सादर अभिवादन ।

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  14. बहुत ही सुन्दर और सार्थक रचना

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    1. अभिलाषा जी आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं ब्लॉग पर आपकी टिप्पणी का आदर करती हूं को मेरा नमन ।

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  15. बस क्या था
    दोनों का हौसला था
    चिड़िया रानी फुर्र फुर्र उड़ने लगी
    गुड़िया भी संग संग दौड़ने लगी

    सार्थक रचना

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    1. आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन करती हूं, ब्लॉग पर आपके स्नेह का सदैव स्वागत है ।

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  16. वाह ! चिड़िया को हवा उड़ा ले गयी और उसकी याद गुड़िया को अश्रु दे गयी, ऐसा ही तो होता है, सुख के पल चिड़िया से फुर्र हो जाते हैं, मन में स्मृतियों का एक मंजर दे जाते हैं

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    1. जी,सही कहा आपने दीदी, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हृदय से नमन करती हूं, सादर अभिवादन ।

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  17. "पिंजरा" तो प्यार भरा भी मन नहीं भाता। जैसे ही आजादी मिली प्यार की परवाह किये वगैर उड़ चली। बेटी का भ्रम भी बना रहे कि-उसे आँधी उड़ा ले गई।
    बहुत ही सुंदर मार्मिक भाव समेटे लाज़बाब सृज जिज्ञासा जी,सादर नमन आपको

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    1. बहुत बहुत आभार प्रिय सखी कामिनी जी, आपकी भावों भरी प्रशंसा बहुत प्यारी लगी आशा है स्नेह बना रहेगा,सादर नमन ।

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  18. पिंजरा किसी को भी पसंद नही होता है। हर कोई स्वतंत्र रहना चाहता है। गौरेया और बेटी के भावों को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है आपने।

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    1. आपका बहुत आभार प्रिय सखी, आपने मेरी तरह ही सुंदर भावनाओं से प्रतिक्रिया की,आपका नमन ।

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  19. वाह!!!
    बहुत ही लाजवाब काव्यकथा जिज्ञासा जी!
    चिड़िया आजादी पाकर उड़ चली पर गुड़िया अपने प्यारी चिड़िया पर से विश्वास नहीं खोना चाहती... वह उसे दोष देकर अपने प्रेम को कम नहीं करना चाहती...इसीलिए सारा दोष हवा पर मढ़ दिया....यही तो प्रेम है।

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  20. बहुत बहुत शुक्रिया सुधाजी , मैने तो कविता लिखी और आपने इतनी सुंदर भावपूर्ण व्याख्या की ,रचना सफल हो गई, आपकी प्रशासन को नमन है ।

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  21. बहुत ही प्यारी कविता यथार्थ और बाल मनोविज्ञान ।
    बहुत सुंदर और हृदय स्पर्शी सृजन है, भावों को बहुत सुंदर था से प्रेसित किया है आपने।
    अप्रतिम।
    बस बिटिया जल्दी ही समझ जायेगी कि पखेरू सदा स्वछंद रहना चाहते हैं पिंजरा तो मजबुरी है।
    सस्नेह।

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    1. जी, आपका बहुत बहुत आभार कुसुम जी, मेरी बिटिया रानी अब समझदार हो गई हैं,पर अभी भी चिड़िया,कुत्ता ,बिल्ली से उनका बड़ा प्रेम है ,खासतौर से घर के बाहर के कुत्तों से बड़ा स्नेह है ।
      आपने कविता का मर्म समझा और स्नेह सिक्त प्रशंसा की, जिसके लिए आपको नमन एवम वंदन ।

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  22. उत्तर
    1. शरद जी, आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं, ब्लॉग पर आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन करती हूं ।

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  23. बहुत कुशलता से जिज्ञासा जी आपने बिटिया तथा गौरैया की मित्रता का वर्णन किया है।कमल का लेखन आपका ही जिज्ञासा जी।पुनः इतनी सुन्दर रचना के लिए बधाई।

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  24. आदरणीय उर्मिला जी आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हृदय से नमन करती हूं, आपको मेरा हार्दिक नमन एवम वंदन ।

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  25. आपको ब्लॉग पर देखकर बहुत खुशी हुई, आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन हूं ।

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  26. बिटिया और गौरैया की मित्रता का खूबसूरत दृश्य शब्दों के माध्यम से कविता में दिखाया गया है, बहुत ही सुंदर जिज्ञासा प्यारी रचना

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    1. आदरणीय ज्योति दीदी, प्रणाम !
      सुबह सुबह आपकी प्रशंसा मन मोह गई,लगा जैसे किसी बड़े ने शीश पर हाथ रख दिया हो,आपका बहुत आभार एवम नमन ।

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  27. सुन्दर !
    भोली गुड़िया अभी आज़ादी का मोल नहीं जानती है.

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  28. आदरणीय सर, प्रणाम !
    आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया मेरे लिए अनमोल है,ब्लॉग पर आपका आगमन खुशी से गया, सदैव स्नेह की अभिलाषा में जिज्ञासा सिंह ।

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  29. बिटिया और गौरेया की दोस्ती के सुंदर भावों की कविता के रूप में प्रस्तुति मन मोहने वाली है। कविता वाकई बहुत बढ़िया लगी।

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  30. आपका बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूं ब्लॉग पर आपकी सुंदर टिप्पणी को नमन है ।

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  31. जी,बहुत बहुत आभार, आदरणीय ! आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन करती हूं, सादर अभिवादन ।

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  33. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  34. आदरणीया मैम,
    अत्यंत सुंदर भावपूर्ण रचना। अंतिम पंक्तियों ने तो मेरी आँखें नम कर दीं। दोनों की दोस्ती पढ़ कर जितना आनंद हो रहा था, अंतिम पंक्ति पढ़ कर मानो उसी स्तब्धता का भी अनुभव कर लिया। कहानियों में बिछोह भले न हो पर यथार्थ जीवन का तो अभिन्न अंग है। हृदय से आभार इस सुंदर रचना के लिए व आपको प्रणाम।

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