नारी जो गरभधारी, चले चाल मतवारी,
लचक मचक देख हिरनी लजात है ।
रत्नारी कजरारी, शीश धरे घट भारी
लगे पिया की दुलारी,सबै देखि सकुचात है ।।
भरी बदरी सी गढ़ी,मेघ आगे पीछे मढ़ी
मोती जैसे बूँद बूँद, गिरे झरे बरसात है ।
कोई अँचरा पसारो,गोरी धना को संभारो
देखो सृष्टि की जननी डगर चली जात है ।।
कोई उदर निहारे,कोई डगर निहारे
कोई देख हथेली, पूँछे हाल कुशलात है ।
कोई कहे लाडो आए, कोई कहे लाला आए
सुन सुन गोरी आज मन मुस्कात है ।।
सुघड़ सहेज बिन चुन खाए मेवा मिश्री
राम किशन छवि नैन समात है ।
कन्या जो घर आए, देवी दुर्गा रूप धरे,
ममता वात्सल्य बीच लुटी आज जात है ।।
**जिज्ञासा सिंह**
चित्र साभार गूगल
क्या बात है जिज्ञासा जी! आपकी काव्य-प्रतिभा तो निरंतर अपनी सीमाओं का विस्तार कर रही है। यह गीत (जी हां, इसे गीत ही कहूंगा) अद्भुत है। कोटिकोटि अभिनंदन।
जवाब देंहटाएंआपकी हौसला बढ़ाती प्रतिक्रिया का हार्दिक शुक्रिया । आपको मेरा सादर नमन।
हटाएंसुघड़ सहेज बिन चुन खाए मेवा मिश्री
जवाब देंहटाएंराम किशन छवि नैन समात है ।
कन्या जो घर आए, देवी दुर्गा रूप धरे,
ममता वात्सल्य बीच लुटी आज जात है ।। वाह!! अद्भुत सृजन जिज्ञासा जी।
आपकी बहुमूल्य टिप्पणी को दिल से नमन करती हूं।
हटाएंजी नमस्ते ,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार(२१-०७-२०२१) को
'सावन'(चर्चा अंक- ४१३२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
अनीता जी,नमस्कार !
हटाएंमेरी रचना को चर्चा मंच में चयनित करने के लिए आपका तहेदिल से शुक्रिया,सादर शुभकामनाओं सहित जिज्ञासा सिंह ।
ओह गहनतम लेखन...। गहरे भाव...।
जवाब देंहटाएंसंदीप जी आपका बहुत बहुत आभार।
जवाब देंहटाएंनारी जो गरभधारी, चले चाल मतवारी,
जवाब देंहटाएंलचक मचक देख हिरनी लजात है ।
रत्नारी कजरारी, शीश धरे घट भारी
लगे पिया की दुलारी,सबै देखि सकुचात
बहुत ही गहन शब्दों के साथ बहुत ही सुंदर रचना
आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को सादर नमन करती हूँ।आपका बहुत बहुत आभार।
हटाएंबहुत बढ़िया शब्द चित्र प्रिय जिज्ञासा जी। भावी सृजन को भीतर धारण करने वाली मातृशक्ति को समर्पित ये अनूठी रचना है 👌👌👌👌 सबकी प्यारी और आँखों का तारा बनी ,अतुल्य ममत्व का विपुल सौंदर्य धारण लिए इस भावी जननी को मेवा मिस्री क्यों ना खिलाया जाए। भविष्य की संतति का पोषण जो हो रहा है ।। इस अनुपम नैसर्गिक सुंदरता को निहारने के लिए इस सुद्क्ष कवि दृष्टि को नमन है जो आंतरिक और बाह्य दोनों सौंदर्य का भली भांति अवलोकन करने में सक्षम है। हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई आपको इस शानदार रचना के लिए 🙏🌷🌷💐
जवाब देंहटाएंआपकी सुंदर प्रशंसा को मेरा सादर नमन,आख़िर आप भी तो इस सृष्टि की जननी हैं प्रिय सखी।आपका बहुत बहुत आभार।
हटाएंअद्भुत काव्यसृजन। शब्दमय, चित्रमय, सौन्दर्यमय, वात्सल्यमय।
जवाब देंहटाएंआपकी सुंदर शब्दों से सजी प्रशंसा को मेरा सादर नमन,आपका बहुत बहुत आभार।
हटाएंभरी बदरी सी गढ़ी,मेघ आगे पीछे मढ़ी
जवाब देंहटाएंमोती जैसे बूँद बूँद, गिरे झरे बरसात है ।
कोई अँचरा पसारो,गोरी धना को संभारो
देखो सृष्टि की जननी डगर चली जात है ।।
बहुत ही सुंदर सृजन।
आपका बहुत बहुत बहुत आभार ज्योति जी,आपकी प्रशंसा को सादर नमन।
हटाएंसुन्दर भावों से गूंथी रचना मुग्ध करती है - - सुघड़ सहेज बिन चुन खाए मेवा मिश्री
जवाब देंहटाएंराम किशन छवि नैन समात है ।
कन्या जो घर आए, देवी दुर्गा रूप धरे,
ममता वात्सल्य बीच लुटी आज जात है ।। साधुवाद सह।
शान्तनु जी,आपकी प्रतिक्रिया हमेशा मनोबल बढ़ाती है,आपका कोटि कोटि आभार।
हटाएंसुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार ओंकार जी,आपको मेरा सादर नमन,
हटाएंगर्भवती नारी पर ऐसा काव्य सृजन!!!!
जवाब देंहटाएंक्या बात!!!!
कमाल का लेखन...सोच बदल देने वाला.. कहाँ गर्भवती बेचारी अबला से हटकर "देखो सृष्टि की जननी डगर चली जात है" ।.....अद्भुत!!!!
राम किशन छवि नैन समात है ।
कन्या जो घर आए, देवी दुर्गा रूप धरे,
ममता वात्सल्य बीच लुटी आज जात है ।
सृष्टि की जननी की ये सम्मानित रूप दिल को भा गया जिज्ञासा जी!
ऐसे अद्भुत एवं लाजवाब सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई आपको।
सुधा जी, कविता को विस्तार देती आपकी अनुपम प्रतिक्रिया से अभिभूत हूं,सच कोई माने न माने स्त्री तो सृष्टि की जननी है ही,और हमें गर्व भी होना चाहिए। आपकी बहुमूल्य टिप्पणी को हार्दिक नमन एवम वंदन।
जवाब देंहटाएंवाह सुगठित काव्य, बहुत सुन्दर!
जवाब देंहटाएंनिरंतर आपके प्रोत्साहन की आभारी हूं, अपको मेरा सादर नमन।
हटाएंनारी की सुंदरता से परिचय कराने के लिए आपको बधाई। नारी की महानता की तरह नारी की सुंदरता का वर्णन कभी पूरा ही नहीं होता।
जवाब देंहटाएंवीरेन्द्र जी, मैं कई बार आपके ब्लॉग पर गई,पर कोई पोस्ट नहीं दिख रही थी,आज आपकी प्रतिक्रिया देख बहुत हर्ष हुआ,खासतौर से आपकी कुशल जानकर,प्रशंसा के लिए आभार एवम आपको मेरी हार्दिक शुभकामनाएं।
जवाब देंहटाएंनारी की सुंदरता माँ बनने में और उसे आपने शब्द दिए । बहुत सुंदर सृजन
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका दीदी🙏💐
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर मधुर रचना
जवाब देंहटाएंआपका बहुत बहुत आभार आदरणीय।
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