मन की गठरी में भरा, पीड़ा घोर विषाद ।
प्रियवर सन्मुख बोलकर, कम कर कुछ तादाद ।।
हे मन मूरख तोलकर, अपना स्वयं वजूद ।
जल सागर में है भरा, तभी अगिन में कूद ।।
खुद को ज्ञानी मानकर, खोल न अपनी खोल ।
भाषा अपनी तोलकर, ज्ञानी सम्मुख बोल ।।
दुनिया माया से भरी, कोटि कोटि बहुरंग ।
गली गली नुक्कड़ नुक्कड़, करती है मति भंग ।।
एक दिशा और लक्ष्य से, बनता मन है वीर ।
मन साधे सब कुछ सधै, जैसे धनुषा तीर ।।
एक दिये की ज्योति से, जगमग जग है होय ।
जिनके मन कालिख भरा, उसे न सुमिरे कोय ।।
**जिज्ञासा सिंह**
जवाब देंहटाएंमन की पीड़ा बोल कर , कब कम हुआ विषाद ।
प्रियवर भी मुँह फेरते , मन में पड़े मवाद ।।
सभी दोहे बेमिसाल , 👌👌👌👌👌
आपकी बात से सहमत हूं आपका बहुत आभार आदरणीय दीदी।
हटाएंनीति-विषयक सुन्दर दोहे !
जवाब देंहटाएंजी, बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय सर ।
हटाएंअच्छे दोहे हैं जिज्ञासा जी। तीसरे दोहे में सम्भवतः आप 'खोल न अपनी पोल' कहना चाहती होंगी।
जवाब देंहटाएंआ0का बहुत बहुत आभार जितेन्द्र जी,सादर नमन आपको ।
हटाएंकबीर की सूक्तियाँ का अहसास कराते नीति के दोहे।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर है जिज्ञासा जी मन में शुभ्रा का संचार करते हैं।
अभिनव सृजन।
आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन ।
हटाएंबहुत सुंदर जिज्ञासा जी, दुनिया माया से भरी, कोटि कोटि बहुरंग ।
जवाब देंहटाएंगली गली नुक्कड़ नुक्कड़, करती है मति भंग ।।... और एक और दोहा याद आ गया----सूरदास की काली कमर चढ़ै ना दूजौरंग
आपके कविता और कवियों के बारे में ज्ञान से अचंभित हो जाती हूं, बहुत सराहनीय हैं ये बातें ।मेरी रचना की प्रशंसा के लिए आपको हार्दिक नमन एवम वंदन ।
हटाएंबहुत सुंदर दोहे,जिज्ञासा दी।
जवाब देंहटाएंआपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन
हटाएंवाह! बहुत सुंदर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आदरणीय सर ।आपको मेरा सादर नमन ।
हटाएंएक दिये की ज्योति से, जगमग जग है होय ।
जवाब देंहटाएंजिनके मन कालिख भरा, उसे न सुमिरे कोय ।।
बहुत ही सुंदर दोहे जिज्ञासा जी
आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया को हार्दिक नमन एवम वंदन
हटाएंआदरणीया मैम, बहुत ही सुंदर प्रेरणादायक दोहे। पढ़ कर मन आनंदित हुआ । अंत के दो मुझे सब से अधिक अच्छे लगे। हृदय से आभार इस सुंदर रचना के लिए व आपको प्रणाम ।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार प्रिय अनंता ।हमेशा खुश रहो।
जवाब देंहटाएंमतिभंग - नया शब्द प्रयोग।
जवाब देंहटाएंसुन्दर दोहे।
बहुत बहुत आभार प्रवीण जी ।
हटाएंसुन्दर और सार्थक दोहों के लिए आपको बधाई। सादर।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार वीरेंद्र जी ।
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