घट और घाट सभी कुछ निर्जन ।
झड़कर उजड़ चुके हैं कुंजन ।।
बड़ा बवंडर छाया भू पर,
सबसे छुपके नजर बचाएँ ।
प्यारे राजनीति में आएँ ।।
वो भूखा है, रहने दो,
बिन कपड़े के जीने दो ।
उसका बोझ उसी के द्वारा,
सिर पर उसको ढोने दो ।।
किसे जरूरत है कि उसके
वोट की कीमत उसे बताएँ ।
प्यारे राजनीति में आएँ ।।
घर, बिजली, पानी और सड़कें,
सजी रजिस्टर में बढ़ चढ़ के ।
देने वाला प्यार से देगा,
यहाँ नहीं मिलता कुछ लड़ के ।।
मिल जाए तो खाओ सब्जी
वरना रोटी चटनी खाएँ ।
प्यारे राजनीति में आएँ ।।
लाखों लाख योजना निशदिन,
बनती है अपनी खातिर ।
लालच का बाजार सजाए,
बैठ गए हैं सब शातिर ।।
थैला लेकर जो पहुँचेगा
उसकी लेते सभी बलाएँ ।
प्यारे राजनीति में आएँ ।।
दल बदलुओं की भीड़ लगी है,
मान मनौवल जारी है ।
कभी इधर हैं कभी उधर हैं,
कहते सबसे यारी है ।।
जाएँगे वो वहीं खुशी से
सपरिवार जो उन्हें बुलाएँ ।
प्यारे राजनीति में आएँ ।।
खादी की बाजार सजी औ,
राजनीति का मौसम है ।
लकदक कुर्ता पाजामा औ,
उस पर टोपी रेशम है ।।
नहीं पूँछ है दीन हीन की
दुखियारा क्यूँ रूप दिखाएँ ?
प्यारे राजनीति में आएँ ।।
कुर्सी, मेजें, सिंहासन बन,
जगह जगह हैं सजी हुई ।
गेंदे की माला से गर्दन,
ऊपर तक है भरी हुई ।।
बस में लदकर चले आ रहे
बूढ़े, बच्चे औ महिलाएँ ।
प्यारे राजनीति में आएँ ।।
**जिज्ञासा सिंह**
बहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार नितीश जी ।
हटाएंआपकी लिखी रचना सोमवार. 17 जनवरी 2022 को
जवाब देंहटाएंपांच लिंकों का आनंद पर... साझा की गई है
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
संगीता स्वरूप
आदरणीय दीदी, प्रणाम🙏
जवाब देंहटाएंमेरी रचना को "पांच लिंको का आनंद पर" में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार और अभिनंदन । मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 👏👏💐💐
बहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार यशवंत जी ।
जवाब देंहटाएंनमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (17-01-2022 ) को 'आने वाला देश में, अब फिर से ऋतुराज' (चर्चा अंक 4312) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
चर्चा मंच के लिए मेरी रचना का चयन होना मेरे लिए बहुत ही हर्ष का विषय है, आपका बहुत बहुत आभार आदरणीय सर, मेरी हार्दिक शुभकामनाएं 💐💐👏👏
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर सृजन।
जवाब देंहटाएंसादर
बहुत बहुत आभार अनीता जी ।
हटाएंघर, बिजली, पानी और सड़कें,
जवाब देंहटाएंसजी रजिस्टर में बढ़ चढ़ के ।
देने वाला प्यार से देगा,
यहाँ नहीं मिलता कुछ लड़ के ।।
मिल जाए तो खाओ सब्जी
वरना रोटी चटनी खाएँ ।
प्यारे राजनीति में आएँ ।।
बिल्कुल सही कहा आपने पर ऐसा इसलिए होता है क्योंकि हम में से अधिकतर लोगों की प्रवृत्ति है कि जाने दो हमसे क्या! गरीबों में इनके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत नहीं और मिडिल क्लास के पास फुर्सत नहीं और अमीरों को कोई मतलब नहीं जब तक ऐसा रहेगा तब तक कुछ नहीं सुधरने वाला तब तक ऐसे ही घटिया राजनीति चलती रहेगी! हम सब को जागरूक होने की आवश्यकता है क्योंकि यह राज नेता लोग हमें जिस्म से नहीं दिमागी रूप से अपाहिज बना रहे हैं! हमारे महानायक भगत सिंह ने ठीक ही कहा था कि "आज गोरे राज कर रहे हैं कल भूरे काले सांवले यानि कि हमारे देश के लोग ही जिनके पास अधिक पॉवर होगी वो हम पर राज करेंगे"
"मैं एक मानव है और मानवता को प्रभावित करने वाले हर कार्य से मुझे मतलब है" भगत सिंह के इस विचारों का हमें अनुसरण करने की सख्त जरूरत है तभी एक समृद्ध देश का निर्माण हो पाएगा और ऐसी घटिया राजनीति का पतन हो पाएगा!
प्रिय मनीषा मैं तुम्हारी हर बात से सहमत हूं, तुम्हारे जैसे युवाओं के हाथ में इस देश के भविष्य हैं और जब ऐसी सोच विस्तार लेती है जैसा मैं तुम्हें पढ़ती हूं तो बहुत ही खुशी होती है, ऐसे ही बहुत सुंदर और समृद्ध ज्ञान का संचय करो और लिखती रहो । मेरी तुम्हें हार्दिक शुभकामनाएं ।
हटाएंराजनीति का कच्चा चिट्ठा, खोल दिया जिज्ञासा ने।
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत उम्दा कविता।
प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सर 👏👏
हटाएंसामायिक राजनीति का सदृश चित्र अंकित कर दिया है आपने जिज्ञासा सी, और उसके दुष्प्रभाव आम जनता पर कैसे हैंऔर कितने उपेक्षित हैं।
जवाब देंहटाएंसटीक तंज और यथार्थ।
आपकी टिप्पणी मेरा संबल है, हमेशा सृजन को धार मिलती है । आप को मेरा नमन और वंदन ।
हटाएंदल बदलुओं की भीड़ लगी है,
जवाब देंहटाएंमान मनौवल जारी है ।
कभी इधर हैं कभी उधर हैं,
कहते सबसे यारी है ।।
जाएँगे वो वहीं खुशी से
सपरिवार जो उन्हें बुलाएँ ।
प्यारे राजनीति में आएँ ।।
वाह!!!
समसामयिक और चुनावी माहौल पर
बहुत ही लाजवाब सृजन
आपके वाह ने मेरे सृजन को सार्थक कर दिया । आपकी हर प्रशंसा मेरे मनोबल को बढ़ाती है । आप को मेरा नमन और बंदन ।
हटाएंजाने क्यों प्यारे राजनीति में आए
जवाब देंहटाएंनिर्लज्ज,स्वार्थी फूटी आँख न भाए
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सराहनीय,सटीक अभिव्यक्ति जिज्ञासा जी।
सस्नेह
सादर।
आपका बहुत बहुत आभार । ब्लॉक पर आपकी उपस्थिति ने रचना को सार्थक कर दिया । मेरा हार्दिक नमन और वंदन ।
हटाएंखरी खरी बात कही है आपने, राजनीति में जो उठापटक चलती है उसे देखकर तो लगता है उसूल वाले ज्यादातर लोग राजनीति से दूर ही रहते हैं
जवाब देंहटाएंज्यादातर राजनीति वाले ऐसे ही हैं, अनीता जी उनका आम जनता से कोई लेना-देना नहीं । बस उनकी राजनीत होनी चाहिए । आपकी प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थकता प्रदान की आप को मेरा हार्दिक नमन और वंदन
हटाएंचुनावी मौसम में जैसे कोई डुगडुगी बजा कर राजनीति का पर्दाफाश कर रहा हो । सब चटखारे लेकर सुन रहे हों । बहुत ही बढ़िया कहा ।
जवाब देंहटाएंआपके अनमोल शब्दों ने रचना को सराहा यह मेरा सौभाग्य है । आपकी टिप्पणी से सृजन सार्थक होता है ।
जवाब देंहटाएंस्नेह बनाए रखें, आप को मेरा नमन और वंदन ।
बहुत ख़ूब जिज्ञासा !
जवाब देंहटाएं'प्यारे राजनीति में आएं'
ये प्यारे 'डाकू है, चोर हैं, ठग हैं या थ्री इन वन हैं, यह तो बताओ.
आप तो गुरु हैं आदरणीय सर, आपको क्या बताएं । आप से हम सीखते हैं👏😀
हटाएंकवि मन लिख गया अब उसने किसको लिखा, क्यूं लिखा ? हर दल अपने हिसाब से जान लेगा, हमें आपको क्या करना ?? बस अपने लोगों को नहीं लिखा ये बता सकती हूं आपको मेरा नमन और वंदन 👏👏
😀😀बहुत बढ़िया प्रस्तुति प्रिय जिज्ञासा जी 👌👌😀😀
जवाब देंहटाएंनिकम्मे की जिन्दगी गुलजार हो जाती है, जब जरा-सा पैर कहीं किसी खेमे में फंस आए। पक्ष हो या विपक्ष सब जगह चांदी है। रोचक रचना के लिए हार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिये😀
आपकी मुस्कराती प्रतिक्रिया ने मेरी भी चांदी कर दी । खुश हूं,मुझे भी तो वोट देना है😀नमन और वंदन प्रिय सखी😀👏💐
जवाब देंहटाएंयजुर्वेद के अनुसार देश का मार्गदर्शक बनने से पहले व्यक्ति को अपने विचारों को परोपकारी व्यवहार को त्यागमय वाणी को मधुर बनाना चाहिए. लगता है हमारे नेताओं में यह गुण कूट कूट कर भरे हैं'
जवाब देंहटाएंबहुत ही ज्ञानवर्धक प्रतिक्रिया, सहृदय नमन ।
जवाब देंहटाएंसपरिवार जो उन्हें बुलाएँ ।
जवाब देंहटाएंप्यारे राजनीति में आएँ ।।
वाह!
बहुत ही लाजवाब सृजन
बहुत बहुत आभार आपका । ब्लॉग पर आपकी बहुमूल्य उपस्थिति और प्रतिक्रिया बहुत खुशी दे गई ।आपको मेरा सादर नमन एवम वंदन ।
हटाएंलाजवाब वाह
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका आदरणीय ।
जवाब देंहटाएं