देखे हैं तिनके जंगल की दाढ़ी में


गौरैया अब पंख बदलती झाड़ी में,
फुर-फुर करती बैठे लम्बी गाड़ी में ।
आम और अमरूद लगें फल सारे फीके,
ख़ुशी ढूँढती महुवे में औ ताड़ी में ॥

नए नवेले पँख खरीदे रंगबिरंगे,
फ़ेविक्विक से फ़िक्स करे ।
हैट लगाई सैंडिल पहनी,
सेल्फ़ी खींची और फ़ोन में पिक्स भरे ॥
मिडी पहनकर फुदकी,
संग कबूतर झूमें,
पल भर बाद नज़र आई वो साड़ी में ॥

उपवन के पिंजरे में वर्षों क़ैद रही,
झेले हैं कौवों के लाखों ही प्रतिबन्ध ।
जंगल के तिनके-तिनके पर गिद्ध बसेरा,
तोड़ न पाई वो अब तक कोई अनुबन्ध ।
मौक़ा आज मिला तो,
चौके से चूके क्यूँ ,
देखे हैं तिनके जंगल की दाढ़ी में ॥

मतलब और मसाले का स्वादिष्ट सम्मिश्रण
उदर क्रांति का माँगेगी अब हक़ ।
प्यास बुझाया बूँद-बूँद गंगा के जल से
अम्बर छू उतरेगी गहरे, तैर बेझिझक ॥
माँगेगी अधिकार घोंसले के बाहर भी,
भर लेगी नव शक्ति, स्वयं की नाड़ी में ॥

**जिज्ञासा सिंह**

14 टिप्‍पणियां:

  1. व्यंजना का अद्भुत स्वरूप। असाधारण कविता।

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    1. बहुत बहुत आभार आपका। इतनी सुंदर प्रतिक्रिया ।सृजन सार्थक हुआ ।

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    2. सच कहा जितेन्द्र जी।एक अभिनव कल्पना है 👌👌🙏

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  2. आपकी लिखी रचना  ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" रविवार 18 दिसम्बर 2022 को साझा की गयी है
    पाँच लिंकों का आनन्द पर
    आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. बहुत आभार आपका आदरणीय दीदी। आंख में एलर्जी से ब्लॉग पर कम पहुंच पा रही हूं। क्षमा करिएगा।

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  4. प्रिय जिज्ञासा, इस नयी गौरय्या ने अपने सपनों की लम्बी उड़ान भरकर संसार भर को चकित और विस्मित कर दिया।फलों से महुवे की ताडी तक, मिडी और साडी तक, पिंजरें से जंगल की उन्मुक्त उड़ान से लेकर अपने गगन, धरा और पाताल तक के अधिकार छीन लेने के पीछे विगत अनगिन पीढियों के दर्द की अनकही कहानियाँ हैं।अब नयी गौरय्या ना मानेगी वो अपने सपनों का वितान अपने दमखम पर खुद तानेगी।एक बहुत ही नायाब शैली में लिखी अलग मिजाज की अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक बधाई।सस्नेह ♥️

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  5. कमाल का सृजन !!!
    निःशब्द हूँ इस अद्भुत सृजन हेतु बहुत बहुत बधाई साधुवाद।
    लाजवाब👏👏👏🙏🙏

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  6. नन्ही सी गौरैया की अद्भुत संकल्प शक्ति मन्त्रमुग्ध करने के साथ साथ निःशब्द करती है जिज्ञासा जी ! अभिनव सृजन हेतु आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ ।

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  7. वाह ! जितनी सुंदर कल्पना उतना ही अभिनव शब्द संयोजन

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  8. अपनी नायाब शैली में गौरैया की सपनो की उड़ान का बहुत ही अप्रतिम सृजन किया है आपने, जिज्ञासा दी।

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  9. yashodadigvijay4@gmail.com
    मुझे आपकी पसंद की पांच रचनाओं के लिंक चाहिए
    सादर

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  10. जी, अवश्य ! दीदी सादर आभार !
    भेजती हूँ !

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