शहीद की पत्नी का विलाप


उस मृगनयनी का विलाप सुनो

जो कल ही ब्याह के आयी थी
उसके क्रंदन का प्रलाप सुनो

इस रुदन की पीड़ा से हृदय 
जाता है थर थर कांप सुनो

है चीख पुकार सी मची हुई
घनघोर हुआ आलाप सुनो 

मेहंदी औ महावर धो डाला
छूटी न लालरी छाप सुनो

घर, देहरी औ दरवाजे पर
सन्नाटा और संताप सुनो

तोरण की लड़ियां टूट गई
मैहर की धूमिल थाप सुनो

पायल के घुँघरू बिखर गए
आती न कोई पदचाप सुनो

प्रभु के आगे सिर पटक पटक
दे रही दुहाई जाप सुनो

हे ईश्वर ! मेरे किन कर्मों का
ऐसा दिया है शाप सुनो

ये जीवन की शुरुआत ही थी 
फिर मुझसे हुआ क्या पाप सुनो ?
          
  **जिज्ञासा सिंह** 

26 टिप्‍पणियां:

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  2. हृदयस्पर्शी..!
    नमन है वीर शहीदों को। वीरांगनाओ के त्याग को कोई भूल नहीं सकता..!

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    1. ब्लॉग पर आपके स्नेह का हृदय से आभार व्यक्त करती हूँ सादर नमन..

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  3. आदरणीय शास्त्री जी, नमस्कार ! आपकी उत्साहवर्धक प्रशंसा को हृदय से नमन करती हूँ..सादर नमन..

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  4. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (०५-०२-२०२१) को 'स्वागत करो नव बसंत को' (चर्चा अंक- ३९६९) पर भी होगी।

    आप भी सादर आमंत्रित है।
    --
    अनीता सैनी

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  5. प्रिय अनीता जी, मेरी रचना को चर्चा अंक में शामिल करने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार..ब्लॉग पर आपके स्नेह की आभारी हूँ..सादर अभिवादन..

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  6. जो कल ही ब्याह के आयी थी
    उसके क्रंदन का प्रलाप सुनो
    इस रुदन की पीड़ा से हृदय
    जाता है थर थर कांप सुनो

    सच, मन को छू लिया आपकी रचना ने 🌹🙏🌹

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  7. हृदयस्पर्शी,सत-सत नमन वीर शहीद को और उसके परिजनों को भी

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  8. प्रभु के आगे सिर पटक पटक
    दे रही दुहाई जाप सुनो

    हे ईश्वर ! मेरे किन कर्मों का
    ऐसा दिया है शाप सुनो

    ये जीवन की शुरुआत ही थी
    फिर मुझसे हुआ क्या पाप सुनो ?
    दिल को छूती रचना।

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  9. हृदयाघाती विलाप .. नियति के क्रूर चक्र में पिसने को विवश ... आह !

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  10. बहुत बहुत आभार अमृता जी.. सादर नमन..

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  11. ऐसी हृदयस्पर्शी रचना को पढ़कर मन अशांत हो जाता है। जिस पर बीतती है वो कैसे अपने आप को संभालता होगा?

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    1. जी, बिल्कुल सही कहा आपने वीरेन्द्र जी, ब्लॉग पर आपके स्नेह की आभारी हूँ..सादर अभिवादन..

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  12. ओह दुरांत वेदना के क्षण रच दिए आपने जिज्ञासा जी।
    लेखनी भी रो पड़ी होगी कलम से यही नही आँसू बहे होंगे।
    दारुण।
    निशब्द।

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    1. सच्चाई यही है..कुसुम जी, आप जैसे विज्ञ अगर मन के भावों की व्याख्या इन शब्दों से करें तो लेखन की गरिमा बढ़ जाती है..आपको मेरा हार्दिक आभार एवं वंदन..

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  13. हृदय को करूणा से विगलित कर देने वाले क्षणों को साकार करती मर्मस्पर्शी रचना ।

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  14. आदरणीय मीना जी, आप की उत्साहवर्धक टिप्पणी हमेशा प्रेरणा देती है..आपकी स्नेह सिक्त प्रतिक्रिया से ब्लॉग की शोभा बढ़ जाती है..सादर नमन..

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  16. प्रिय जिज्ञासा जी , विरह विगलित आत्मा से फूटा ये वेदना का अनंत क्रंदन शब्दों में कहाँ समाता है ? एक अपार संभावनाओं से भरे निर्दोष युवा सैनिक का असमय काल के गाल में समाना किसे विचलित नहीं करेगा | पर पत्नी के लिए पति पूरी दुनिया होता है जिसके ना रहने से पूरी दुनिया ही वीरान हो जाती है | दिवंगत शहीद की युवा पत्नी का ये विलाप मन को वेदना से भर गया | बहुत -बहुत मार्मिक अभिव्यक्ति है | आँखें नम हो गयीं| समस्त शहीदों को सादर नमन |

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    1. आपकी प्रशंसनीय प्रतिक्रिया रचना को सार्थक कर गई प्रिय सखी..आपके स्नेह के लिए ईश्वर की आभारी हूँ..स्नेह बनाए रखें..सादर नमन..

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  17. एक अमर रहने वाली रचना | बहुत बहुत सुन्दर , सराहनीय

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  18. बहुत बहुत आभार आदरणीय, आपके अवलोकन से कविता की गरिमा बढ़ गई और प्रशंसा से मेरे सृजन शक्ति..अपना स्नेह बनाए रखें सादर नमन..

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