बाज़ी गई मैं हार..गीत



बाज़ी गई मैं हार बलम जी..


कोई कहे अबला कोई कहे सबला

कोई कहें सुंदर नार बलम जी,

अगले जनम की काव कहूँ मैं,

यहि रे जनम गई हार बलम जी 


तुम जीते थे तुम फिर जीते

आज तलक जीते ही जीते 

खेल खेलती रही साथ मैं

पल-पल करते सौ युग बीते 

अब क्या दूँ इनाम मैं तुमको

दे डारा सब झार बलम जी 


एकहि अपने हाथ डेलरिया

वो भी आधी भरी फुलरिया 

घुमची जैसा फूल सजाया

लाल रंग पे दाग है करिया 

किसी रे जनम मैं मोलतोल की

रत्ती रही सुनार बलम जी 


बरसत भीगी भीज लुकानी

कंबहुँ करी  आनाकानी 

चलनी भीतर रोक  पाई

अपना जोगा निथरा पानी 

ना घइला मैं ना थी रसरिया

ना कुइयाँ की धार बलम जी 


चढ़ सूली झूला मैं झूली

लीला समझी,समझ के फूली

नेह उगा हर पातपात में

देख सकल संसार ही भूली

वही ओढ़ना वही बिछौना

वहि जीवन सिंगार बलम जी 


बाज़ी गई मैं हार बलम जी 


**जिज्ञासा सिंह**

23 टिप्‍पणियां:

  1. कोई कहे अबला कोई कहे सबला
    कोई कहें सुंदर नार बलम जी,
    अगले जनम की काव कहूँ मैं,
    यहि रे जनम गई हार बलम जी।
    .. सच यही जनम अगर सुख में न बीते तो अगले जनम की बात व्यर्थ है
    बहुत अच्छी रचना

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    1. आपकी सार्थक प्रतिक्रिया ने रचना को सार्थक कर दिया
      नमन और वंदन।

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  2. नारी जीवन की सच्ची व्यथा कथा

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  3. 'चलनी भीतर रोक न पाई, अपना जोगा निथरा पानी'
    वाह जिज्ञासा, भूत से पूत भले ही मिल जाए पर बलम जी से धोखे के अलावा कुछ भी नहीं मिलने वाला.

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  4. प्यार की बाज़ी वही औरत जीत सकती है जिज्ञासा जी जो अपने प्रियतम से हारना जानती है। सुंदर गीत रचा है आपने।

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    1. हार कर जीते या जीत कर हारे बात वही है कि कटना ख़रबूज़े को ही है ।😄

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    2. आपका विनम्र आभार जितेन्द्र जी ।

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  5. तुम जीते थे तुम फिर जीते

    आज तलक जीते ही जीते ।

    खेल खेलती रही साथ मैं

    पल-पल करते सौ युग बीते ॥

    अब क्या दूँ इनाम मैं तुमको

    दे डारा सब झार बलम जी ॥
    वाह!!!!
    बहुत सटीक...

    वही ओढ़ना वही बिछौना

    वहि जीवन सिंगार बलम जी
    बहुत ही लाजवाब गीत।

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    1. इतनी आत्मीयता से गीत को आपने पढ़ा और प्रतिक्रिया दी आपका विनम्र आभार सुधा जी ।

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  6. खरी खरी बात । कितना ही नारी सशक्तिकरण का दावा किया जाय लेकिन सच यही है कि नारी जीवन समझौतों का नाम है ।

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    1. जी, सही कहा आपने दीदी । आपकी प्रशंसा मेरा मनोबल बढ़ा जाती है ।आपका हृदयतल से आभार।

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    1. आपका बहुत खूब। उत्साह से भर गया।
      आपको मेरा सादर नमन।

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  8. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(३०-०९ -२०२२ ) को 'साथ तुम मझधार में मत छोड़ देना' (चर्चा-अंक -४५६८) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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  9. गीत को चर्चा मंच में शामिल करने के लिए आपका हार्दिक आभार और अभिनंदन प्रिय अनीता जी । सादर शुभकामनाएं।

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  10. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार ३० सितंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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    1. बहुत बहुत आभार श्वेता जी। स्पैम में टिप्पणी जाने से देख नहीं पाई थी।

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  11. सांसारिकता के साथ साथ आध्यात्मिकता का पुट लिए बहुत सुन्दर गीत सृजन जिज्ञासा जी ।

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  12. नारी जीवन को आपने बहुत खूब तरीके से काव्य में पिरो दिया👌👌

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  13. बहुत बहुत आभार आपका रूपा सिंह जी ।

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