मौन का अस्त्र

 

शब्द ही मौन होते गए ख़ुद बख़ुद

जब भी संवाद का अर्थ धूमिल हुआ 

वर्णमाला बिना व्यंजनों के रही

सुर  संगीत हर साज बोझिल हुआ 


मौन जीवन में जब तक रहा गौड़ था

बात ही बात में बात बढ़ती रही 

बात काँटा बनी बात झाड़ी बनी

बात भट्ठी पे चढ़के सुलगती रही 

जब कलुष और कपट बात से  मिटे

मौन का अस्त्र मानव का संबल हुआ 


मौन के चाक पर शब्द चढ़ते रहे

घूमते-घूमते मर्म गढ़ते रहे 

गढ़ लिए और मिटाएमिटाते रहे

भाव बनते रहेभाव मिटते रहे 

मौन दृढ़ हो गया और होता गया

मुस्कुराने का हथियार शामिल हुआ 


मौनमुस्कान उलझन का हल बन गए

शक्तियाँ शब्द की दूर जाती गईं 

मुस्कुराता अधर, मौन होती ज़ुबाँ

दूर मंज़िल को पग-पग नपाती गईं 

हारते-हारते जीत मिलने लगी

ख़ुद से जीता ये मन दृढ़  निर्मल हुआ 


**जिज्ञासा सिंह**

9 टिप्‍पणियां:

  1. मौन,
    मुस्कान
    उलझन
    का हल
    व्वाहहहहहहह
    सादर

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  2. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २ दिसंबर २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  3. दूसरी बार बुला लिया न
    भाव बनते रहे, भाव मिटते रहे ।
    मौन दृढ़ हो गया और होता गया
    सादर

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  4. आदरणीया मैम, अति सुंदर भावपूर्ण रचना। मौन का गुण दुर्लभ है। मौन को स्वर्णिम कहा जाता है क्योंकि वह हमें कई सारे विवादों से, सम्बन्धों में आती खटास से और अनावश्यक कटु बोल कर किसी का मन दुखाने से या झूठ बोल के किसी समस्या में फसने से बचा लेता है। पर यह भी है कि संकोच, अवसाद या एकाकी की भावना से उपजा मौन बहुत क्षति पहुंचाता है। आपकी यह रचना खूब सुंदर लगी, आपके द्वारा लिखी गयी आज तक की मेरी सब से प्रिय रचना। सादर प्रणाम। एक अनयरोध और, मैं ने वक नया ब्लॉग आरंभ किया, चल मेरी डायरी, यह ब्लोग मेरी कृतज्ञता डायरी का हिस्सा है उस पर दो लेख डाले हैं। मेरा अनुरोध है कि आकर अपना आशीष दें।

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  5. यूँ तो मौन बहुत सी समस्याओं का समाधान हो सकता है , लेकिन कभी कभी संवाद विहीनता गिरह को खोलने से रोकती है । लेकिन जहाँ बोलना व्यर्थ हो वहाँ मौन ही बेहतर ।
    गहन भाव लिए सुंदर रचना ।।

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  6. मौन के चाक पर शब्द चढ़ते रहे
    घूमते-घूमते मर्म गढ़ते रहे ।
    गढ़ लिए और मिटाए, मिटाते रहे
    भाव बनते रहे, भाव मिटते रहे ।
    मौन दृढ़ हो गया और होता गया
    मुस्कुराने का हथियार शामिल हुए////
    मौन विभिन्न रूपों को बड़ी सुघड़ता से संजोती रचना प्रिय जिज्ञासा।जहाँ शब्द मौन रह्ते हैं उससे प्रभावी कोई स्थिति नहीं होती।ये भावों की उर्वर भूमि है जहाँ सृजन के फूल खिलते हैं।

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  7. I am really really impressed with your writing skills as well as with the layout on your blog.

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  8. मौन, मुस्कान उलझन का हल बन गए
    शक्तियाँ शब्द की दूर जाती गईं ।
    मुस्कुराता अधर, मौन होती ज़ुबाँ
    दूर मंज़िल को पग-पग नपाती गईं ।
    हारते-हारते जीत मिलने लगी
    ख़ुद से जीता ये मन दृढ़ औ निर्मल हुआ!!
    मौन पर आधारित बहुत ही शानदार रचना!
    मौन के विभिन्न रूपों आपने बहुत ही बारीकी और खूबसूरती से अपनी रचना के माध्यम से बयां किया है!

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